मुंबई के समुद्री तटों पर इन दिनों ब्लू बॉटल जेलिफिश देखी जा रही हैं। पिछले दो दिनों में इनके हमलों में करीब 150 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए। जुहू, अक्सा और गिरगांव चौपाटी के बीचों पर जहरीली जेलिफिशों की मौजूदगी से कई लोगों के घायल होने की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को बीच पर जाने से मना किया है।
शहर के इन बीचों पर इनकी तादाद बहुत ज्यादा है। इस वजह से लोगों के बीच दशहत का माहौल है। इनका डंक लगने पर कई घंटों तक दर्द और खुजली बनी रहती है। इंसान पर हमला करती है तो इसके डंक से निकलने वाला जहरीला पदार्थ शरीर में घंटों के लिए खुजली और दर्द दे देता है। इसके डंक का जहर इतना घातक है कि दूसरी मछलियों पर इनके हमले से मछलियों की मौत हो सकती है लेकिन इससे अब तक किसी इनसान की मौत का मामला नहीं आया है।
आखिर क्या है यह ब्लू बॉटल जेलिफिश : दरअसल अटलांटिक, पैसिफिक और हिंद महासागर में पाई जाने वाली इस जहरीली जेलीफिश को पुर्तगाली योद्धा (मैन ओ वॉर) कहा जाता है। यह नाम इसके हमलावर स्वभाव और दूसरी मछलियों को अपने लंबे जहरीले टेंटिकल्स से डंक मार कर मौत के घाट उतार देने के लिए दिया गया है।
यह बड़े झुंडों में सागरीय धाराओं के साथ बहती हैं और पास जाने पर अपने घातक जहरीले डंक मारने के लिए कुख्यात है। यह आम जेलीफिश से थोड़ी अलग होती है और सिफ़ॉनोफ़ोराए श्रेणी (एक कोषीय जीवों) में आती है। इनके झुंड को कॉलोनी कहा जाता है और यह महासागरों में धाराओं, हवाओं या किसी प्रवाह में बहती रहती हैं और अक्सर समुद्री तटों पर आ जाती हैं।
इसके पास निकलने पर ब्लु बॉटल जेलिफिश के पारदर्शी लंबे टेंटिकल्स शिकार या इंसान पर लिपट जाते हैं। हजारों सूक्ष्म जहरीले डंकों से भरे टेंटिकल्स में भरा जहर शरीर में फैलते ही भयानक दर्द होता है।
इसके डंक लगने पर चिकित्सक को दिखाएं और पीड़ित के जख्म पर थोड़ा कुनकुना पानी डालने से आराम होता है।