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निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी

वेबदुनिया डेस्क

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, शनिवार, 9 जून 2012 (16:57 IST)
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निरमा एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना प्रसिद्ध उद्योगपति तथा लोकोपकारी डॉ. करसनभाई के. पटेल द्वारा सन्‌ 1994 में भारत में उच्च शिक्षा को बढ़ावा तथा समर्थन देने के उद्देश्य से किया गया था। इसे 2003 में पूरी तरह से निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस टेक्नॉलॉजी का सांविधिक दर्जा प्रदान किया गया है।

इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी
निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी निरमा यूनिवर्सिटी का सबसे नया विभाग है, जिसे फार्मास्यूटिकल शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश के युवकों तथा युवतियों को फार्मास्यूटिकल उद्योगों, शिक्षा, अनुसंधान तथा विकास और मार्केटिंग क्षेत्र की चुनौतियों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।

इस उत्कृष्ट संस्थान में फार्मेसी के क्षेत्र में स्नातक, स्नातकोत्तर डॉक्टोरल तथा पोस्ट डॉक्टोरल शिक्षा प्रदान की जाती है। गुजरात तथा पश्चिमी भारत को फार्मेसी व्यवसाय के क्षेत्र में इस तरह के केंद्र की लंबे समय से आवश्यकता थी, जिसे निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी ने पूरा किया है।

यह केंद्र उस समय स्थापित किया गया है, जब सारी दुनिया में फार्मास्यूटिकल उद्योग तथा शिक्षा में खासा परिवर्तन आ रहा है। इस दृष्टि से निरमा इंस्टीटयूट ऑफ फार्मेसी बदलते वैश्विक परिवेशमें एक अति आधुनिक तथा सामयिक संस्थान बनकर उभरा है।

यह अहमदाबाद से 15 किलोमीटर दूर सरखेज-गांधीनगर हाईवे पर 110 एकड़ के खूबसूरत क्षेत्र में स्थापित है, जिसका वातावरण प्रदूषणमुक्त तथा हरियाली से आच्छादित है। सेंटर में सर्वसुविधायुक्त कक्षाएं, सुसज्जित लैब, 2500 से अधिक पुस्तकों से सुसज्जित लाइब्रेरी, परिष्कृत इंस्ट्रूमेंट लाइब्रेरी, एनिमल हाउस, मेडिसिनल प्लांट गार्डन, स्टूडेंट स्टोर, बैंक तथा सर्वसुविधायुक्त होस्टल तथा कैंटिन सुविधा उपलब्ध है।

उद्देश्य
अधिकांश विकसित देशों में फार्मेसी का प्रोफेशन डायनामिक तथा विकास की अवस्था में है, इसलिए यह सभी का दायित्व बन जाता है कि हमारे यहां भी इसी आवश्यकता के अनुरूप संस्थान विकसित किए जाएं। इसके लिए निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी ने निम्नलिखित उद्देश्य सामने रखे हैं :

1. फार्मास्यूटिकल साइंस में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डॉक्टोरल तथा पोस्ट डॉक्टोरल स्तर की शिक्षा प्रदान करने के लिए उत्कृष्ट केंद्र को विकसित करना।

2. फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स तथा रिसर्च लेबोरेटरी की तेजी से विस्तारित होती मानव संसाधन आवश्यकताओं की पूर्ति करना।

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