Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

मकर संक्रांति पर पढ़ें बच्चों की कहानी : कबूतर का दर्द

पतंग का मजा, पक्षियों को सजा

हमें फॉलो करें मकर संक्रांति पर पढ़ें बच्चों की कहानी : कबूतर का दर्द
webdunia

स्मृति आदित्य

- स्मृति आदित्य
 
मैं एक कबूतर हूं। आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाना चाहता हूं। आप सभी मकर संक्रांति पर खूब पतंग उड़ाएंगे। खूब तिल गुड़ खाएंगे। आपको आपके मम्मी-पापा खूब सारी पतंग, मांजा, फिरकी लाकर देंगे। पर मैं. .. मैं तो अकेला हूं। जब भी मकर संक्रांति आती है मुझे याद आती है अपने मम्मी पापा की। तब मैं बहुत छोटा था। मेरे पंख बहुत नाजुक थे। मैं उड़ भी नहीं सकता था। बस मैंने आंखें ही खोली थी। मेरे मम्मी-पापा सुबह होते ही दाना पानी के लिए भटकने निकल जाते थे। उस दिन भी वे दोनों मेरे लिए दाना जुटाने निकल पड़े थे।
 
हां, वह मकर संक्रांति का ही दिन था। चारों तरफ बहुत शोरगुल था। हर तरफ मस्ती से आवाजें आ रही थी वो काटा, काटा है... काई पो छे.... मैं भी अपनी नन्ही नन्ही आंखों से देख रहा था दूर आकाश में... सुंदर सुंदर रंगबिरंगी पतंगें इठला रही थी। इतने सुंदर-सुंदर रंग और इतने सुंदर-सुंदर रूप की पतंगें....
मैं फुदक फुदक कर देख रहा था। तभी मैंने देखा पड़ोस के पेड़ पर रहने वाले चिडिया के बच्चे खेलते-खेलते बाहर निकल आए। मैं उन्हें फुदकते हुए देख ही रहा था कि अचानक पतंग के चीनी मांजे में एक छोटा बच्चा उलझ गया। चीं चीं चीं की तेज आवाज के साथ वह चीख रहा था। पर सब लोग त्योहार की मस्ती में इतने डूबे थे कि किसी को वह आवाज सुनाई नहीं दी। बच्चे चीनी मांजे को खींच रहे थे और वह चिडिया का बच्चा खून से तरबतर होकर छटपटाता रहा। कुछ देर में उसके कोमल पंख अलग हो गए.... यह देख मैं डर गया... जोर-जोर से रोने लगा ... मुझे अब अपने मां और पिता की चिंता सताने लगी।

webdunia
मैं कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि मैं अभी उड़ना भी नहीं जानता था। अगर बाहर आने की कोशिश भी करता तो मेरा वही हश्र होता जो चिडिया के बच्चे का हुआ। मुझे बहुत जोरों से भूख लग आई थी। पर मैं बेबस था। शाम तक पतंग का कोलाहल बढ़ता ही जा रहा था और मेरा मन चिंता में डूबता जा रहा था। जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ता गया .... मेरा दिल भी परेशानी में उलझता गया पतंग के चीनी मांजे की तरह।
 
कहां होंगे मेरे मम्मी-पापा ? कैसे उड़ रहे होंगे वह आकाश में.. आकाश में तो बिलकुल भी जगह नहीं बची... और यह चीनी धागा कितना खतरनाक है.... इसी में उलझ कर तो अभी चिडिया का बच्चा मर गया है। उसके आसपास उसके मम्मी-पापा विलाप कर रहे हैं.... मेरा मन भारी हो रहा है... क्या करूं, कहां जाऊं.. किससे पूछ कर देखूं....
मैं अकेला अपने घोंसले में भूख और मम्मी-पापा की याद में थक कर बेचैन होने लगा। तभी अंधेरे में मुझे अपने पापा लड़खड़ाते-उड़ते हाल-बेहाल आते दिखाई दिए। मैं जोर-जोर से चिंहुकने लगा। मैंने देखा उनके पंख कटे हुए थे। हर तरफ से खूब बह रहा था। उनकी चोंच भी निकल गई थी। पंजों के नाखून लटकने लगे थे। मैं उन्हें देखकर चीख उठा। उन्होंने कराहते हुए चार दाने मेरी चोंच में डाले और कहा,
 
बेटा इन इंसानों की दुनिया में जीना बहुत मुश्किल है, तुम अपना ध्यान रखना... मैं किसी तरह तुम तक पहुंचा हूं.. तुम्हारी मां नहीं आएगी.... उसके दोनों पंख पतंग के मांजे में उलझ कर कट गए हैं और उसने वहीं तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया है...
 
मुझे याद आया कि पापा की हालत देखकर मैं भूल ही गया था कि मम्मी के बारे में पूछूं, पर अब तो उनका हाल सुनकर मेरे सब्र का बांध टूट गया। पापा ने मेरी तरफ देखते-देखते आंखें बंद कर ली। मैं अकेला रह गया।
 
आज फिर मकर संक्रांति है। आज मेरे बच्चे भूखे हैं पर मैं दाना नहीं ला सकता... मुझे डर है कि कहीं मैं भी बीच आकाश में उलझ कर न रह जाऊं और मेरे बच्चे अकेले न रह जाएं....
 
मैं आपसे पूछता हूं... क्या आपको रोना नहीं आता जब आपको छोटी सी भी चोट लग जाए तो ... फिर सोचिए कि इस आकाश में आज के दिन कितने पंछी उलझ कर दम तोड़ देते हैं.... कितने बच्चे मेरी तरह अकेले रह जाते हैं और कितने मम्मी-पापा अपने नन्हे बच्चे के लिए रोते रह जाते हैं... उस चिडिया की तरह ....
 
क्या आप मुझे वादा करोगे कि पतंग वहीं उड़ाएंगे जहां पंछी ना उड़ते हो... क्या आप वादा करोगे कि आपकी पतंग के चीनी मांजे से उलझ कर कोई पक्षी नहीं मरेगा...प्लीज मेरे नन्हे फ्रेंड्स, हम पक्षियों के लिए आकाश का कोई कोना तो रहने दो....
webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Motivation : खुद लिखें अपने करियर की कहानी