बाल गीत : घड़ा धूप का...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
जाने क्या सूझा सूरज को,
जन जीवन पर हमला बोला।
मार्च माह जाते-जाते ही,
दाग दिया गर्मी का गोल।
 
सर फर्राती हवा चल पड़ी।
तीर चले अंगारों वाले।
धरती हो गई गर्म तवा-सी,
पड़ने लगे पगों में छाले।
मौसम के नीले सागर में
इस निर्मम ने लावा घोला।
 
खतम परीक्षा आए नतीजे,
पर शाला से मिली न छुट्टी।
बस्ता कंधे पीठ किताबों,
से कर पाए अभी न कुट्टी।
नहीं किसी शाला ने अब तक,
छुट्टी देने को मुंह खोला।
 
सूरज शिक्षक सरकारों को,
नहीं दया हम पर आती है।
किरणों के चाबुक से हमको,
भरी दुपहरिया पिटवाती है।
सूरज से अब हम क्या बोलें,
घड़ा धूप का सिर पर ढोला।
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पार्टनर के लिए 20 बेहतरीन रोमांटिक गुड मॉर्निंग लव शायरी और कोट्स

भारत में कैसे आता है मॉनसून? समझिए बारिश का पूरा विज्ञान

बरखा की बूंदों में भीगी ये शायरी पढ़ कर दिल हो जाएगा तरोताजा

हेयर ट्रांसप्लांट ने लील ली 2 जिंदगियां, जानिए कितनी सेफ है ये सर्जरी, संभावित खतरे और किन लोगों को नहीं करवाना चाहिए ट्रांसप्लांट

प्री-मॉनसून और मॉनसून में क्या होता है अंतर, आसान भाषा में समझिए

सभी देखें

नवीनतम

अपनी बेटी को दें वेदों से प्रेरित सुंदर नाम, जानें उनके गहरे अर्थ

घर के चिराग को दें वेदों से प्रभावित नाम, दीजिए बेटे के जीवन को एक सार्थक शुरुआत

प्रधानमंत्री का संदेश आतंकवाद के विरुद्ध मानक

मोहब्बत, जिंदगी और सियासत पर राहत इंदौरी के 20 दमदार और मोटिवेशनल शेर

कितनी है कर्नल सोफिया कुरैशी की सैलरी, जानिए भारतीय सेना में इस पोस्ट का वेतनमान

अगला लेख