जिसे बचाने मुहिम चली है,
सिर पर चढ़ा जुनून।
नाम बताओ इसका क्या है?
भैया अफ़लातून।
ठोस द्रव्य या भाप रूप में,
रहता है यह भैया।
लहरों के संग नदी ताल में,
करता ता ता थैया।
इसके सेवन से तन मन को,
मिलता बड़ा सुकून।
शातिर लोग इसे तो अच्छों
अच्छों को पिलवाते।
साईस इसको हर दिन अपने,
घोड़ों को दिखलाते।
इसके बिना कहां उबरे हैं,
मोती मानुस चून।
जिसके बिना बढ़े न आगे,
जीवन की यह गाड़ी।
सूखे ताल तलैया सागर,
नदिया पेड़ पहाड़ी।
इसके बिना कठिन हैं भारी,
महीने मई और जून।