फनी बाल कविता : लोरी

Webdunia
- सुरेन्द्र अंचल
 
अक्कड़-बक्कड़ बबे बो,
सो जा कन्नू अब ना रो। 
देऊंगी री ऐसी गुड़िया, घूंघर वाले बाल हो,
देख-देखकर कुन्नू मेरा, नाचे दे दे ताल हो। 
चंदामामा नीचे आओ,
तारे लाओ पूरे सौ।।
 
निंदिया रानी चादर ला, कुन्नू को होले औढ़ा।
सपनों की बगियों में जा, लाएगा मुन्ना घोड़ा।
रास जो खींचे मुन्ना तो
घोड़ा दौड़े अंगुल नौ।।
 
नहीं हठीला कुन्नू मेरा, कहना सबका मानता,
पहले-पहले राजा, देखे कौन है आंखें मूंदता।
सो जा बेटा एक दो...।
अस्सी नब्बे पूरे सौ। 
अक्कड़-बक्कड़ बबे बो,
सो जा कन्नू अब ना रो।

साभार - देवपुत्र 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

अगला लेख
More