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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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बाल कविता : स्पर्श छुअन

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सुशील कुमार शर्मा

हाइकु 72
 
शिशु का स्पर्श
ईश्वर ने रखा हो
कांधे पे हाथ। 
 
अपनापन
मुस्कान की छुअन
छलके मन।
 
आंसू-सा गीला
स्मृतियोंभरा स्पर्श
बहता गया। 
 
अव्यक्त मन
मधुर-सी छुअन
सहरा तन। 
 
ओंठ से बहा
बारिश-सा नहाता
खामोश स्पर्श। 
 
स्पर्श से लिखी
प्रणय मनुहार
बसंती प्यार। 
 
संदली सांसें
मोम-सी पिघलती
रोशन रातें। 
 
स्वप्निली सांझ
अधरों की छुअन
गुलाबी गाल। 
 
स्नेह का स्पर्श
प्रणय निमंत्रण
जन्मों का साथ। 
 
धरती देह
आसमान का स्पर्श
गिरतीं बूंदें। 
 
चरण स्पर्श
गुरु का आशीर्वाद
बुद्धि विकास। 
 

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