Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कविता : सवेरा जागा...

हमें फॉलो करें कविता : सवेरा जागा...
- राजेन्द्र निशेश
 
सुंदर, शांत सवेरा जागा,
रवि किरणें मुस्काईं।
इन्द्रधनुषी पंख फैलाए,
तितली रानी आई। 
 
हरी भीगी लताएं चहकी,
ओस ने ली विदाई।
भंवरों की गुनगुन को सुनकर,
कली-कली हरषाई।
 
कोयल गाती निज मस्ती में,
चिड़िया चिहुक लगाई।
बैठ पेड़ पर फल हैं खाते,
हरियल मिट्ठू भाई।
 
कल-कल धारा बहती सरिता,
हर्षित धरा नहाई।
आनंदित करती प्रकृति ने,
ममता सकल लुटाई।

साभार - देवपुत्र 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या आप जानते हैं भगवान शिव के 10 रुद्रावतार