Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

मजेदार चटपटी कविता- मेले में मज़ा नहीं आया...

हमें फॉलो करें मजेदार चटपटी कविता- मेले में मज़ा नहीं आया...
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

रौनक थी बड़ी; हमें कुछ नहीं भाया,
मेले में मज़ा नहीं आया।
 
चहल-पहल; धक्का-मुक्की; रेलमपेल,
ऊंचे-ऊंचे झूले, बच्चों की रेल,
मां के हाथों सा ना किसी ने झुलाया
मेले में मज़ा नहीं आया...
 
खाई आलू चाट; पी कोकाकोला,
ली ठंडी सोफ़्टी, चूसा बर्फ़ का गोला,
पहले जैसा स्वाद नहीं किसी में आया।
मेले में मज़ा नहीं आया...
 
महंगे-महंगे सामानों पे धावा बोला,
खूब की खरीददारी भरा अपना झोला,
खिलौनों का वो सुख मगर नहीं पाया।
मेले में मज़ा नहीं आया...

 
देखो ये बच्चे कैसे इठलाते हैं
मेले में आते ही खुश हो जाते हैं
हम चालीस पार हुए अब जाते हैं
दर्पण देख आज समझ ये आया
मेले में मज़ा 'क्यों' नहीं आया।
 
कवि-पं. हेमन्त रिछारिया

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पत्तल में खाना नहीं पसंद, तो ये बेहतरीन सेहत फायदे जानने के बाद रोजाना खाएंगे पत्तल में खाना