मजेदार बाल गीत : घर बंदी से बाहर

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
घर बंदी से बाहर निकले,
आज आनंदी।
 
आज आनंदी ने ठेले पर,
फुल्की खाई।
हरे पार्क में मस्ती करते,
दौड़ लगाई।
दृख्तों पर देखी हैं,
चि़ड़िया रंगबिरंगी।
 
बॉल छीनकर दौड़ लगाई,
आगे-आगे।
गोल आनंदी ने फुर्ती से,
दन-दन दागे।
करने लगे वाहवाही सब,
साथी संगी।
 
पिंजरे से बाहर आते ही,
धूम मचा दी।
रक्षा के ताले की चाबी,
कहीं गुमा दी।
नियम कायदे उड़ा दिए सब,
चिंदी चिंदी।

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