-हरीश दुबे
अवनी से अंबर तक छाया नववर्ष।
सिन्दूरी भोर लिए आया नववर्ष।।
तैरते हवाओं में पंछी रंगीन।
ले आए प्राची से उजियारे दिन।
झरनों ने भैरवी में गाया नववर्ष।
सिन्दूरी भोर लिए आया नववर्ष।।
मधु किरणें पूरब से आई छुम-छुम।
घोल गई रेवा के जल में कुमकुम।।
सुखद रात सुप्रभात लाया नववर्ष।
सिन्दूरी भोर लिए आया नववर्ष।।
शाखों पर फूल नए चमकीली पातें।
बांट रहा स्नेहिल सूरज सौगातें।।
अलसायी धूप खिली भाया नववर्ष।
सिन्दूरी भोर लिए आया नववर्ष।।