सुहाग के सुंदर रंगों से सजा करवा चौथ का व्रत इस वर्ष 8 अक्टूबर को आ रहा है। यह पर्व महिलाओं के लिए सबसे खास होता है। वर्ष भर उन्हें इस व्रत की प्रतीक्षा रहती है। पर्व आने से पूर्व उनके विशेष परिधान भी तैयार होने लगते हैं। वैसे तो सभी रंग निर्दोष होते हैं लेकिन पारंपरिक रूप से कुछ रंगों को शुभ कार्य से दूर रखा जाता है। आइए जानें सौभाग्य के इस त्योहार पर किन 5 रंगों से बचना चाहिए।
काला : यह रंग अशुभता का प्रतीक है। इस रंग का प्रयोग सिवाय मंगलसूत्र के दानों के परिधान या श्रृंगार में न करें।
सफेद : यह रंग यू तो शांति और सौम्यता का प्रतीक है लेकिन सादगी का यह रंग श्रृंगार के पर्व पर वर्जित माना जाता है। उपवास वाले दिन महिलाओं को किसी अन्य व्यक्ति को शकर, दूध, दही, चावल और सफेद वस्त्र नहीं देने चाहिए।
नीला : यह रंग अत्यंत खूबसूरत है लेकिन उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ भागों में मोर की गर्दन वाले नीले रंग को पूजा कार्यों में नहीं शामिल किया जाता है। अत: इस दिन इस रंग से भी बचें।
भूरा : यह रंग भी आंखों को नहीं लुभाता है और त्योहार पर कोशिश यह होनी चाहिए कि आंखों को सुंदर लगने वाले रंग ही पहने जाएं। यह रंग राहु और केतु का प्रतिनिधित्व करता है। अत: भूरे रंग से भी यथासंभव बचें।
स्लेटी या कोई भी दबा हुआ हल्का रंग : स्लेटी और इस तरह के मटमैले दबे रंग फैशन में इन हो सकते हैं लेकिन शुभ कार्यों में इनसे बचा जाना चाहिए।
करवा चौथ वाले दिन महिलाओं को विशेष तौर पर लाल परिधान ही पहनने चाहिए क्योंकि लाल रंग हिन्दू धर्म में शुभ का प्रतीक माना जाता है। इसके अतिरिक्त केसरिया, पीला, हरा, गुलाबी, मेजेंटा, महरून और शोख रंग पहने जा सकते हैं। जहां तक संभव हो अपनी शादी का जोड़ा ही व्रत के दिन पहनें।