हनुमानजी का जन्म चैत्र माह में पूर्णिमा के दिन चित्रा नक्षत्र के अभिजित मुहूर्त में हुआ था। 6 अप्रैल को चित्र नक्षत्र रहेगा और दोपहर को अभिजित महुर्त भी रहेगा। कई शुभ योग और संयोग में इस बार हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। आओ जानते हैं कि हनुमान पूजा और आरती के बाद या पहले हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए या कि सुंदरकांड।
हनुमान चालीसा : हनुमान चालीसा हमारे सभी तरह के संकट, बंधन और दुखों का समाधान करती है। खासकर यह बंधनों को काटकर जीवन में सुख और शांति स्थापित करती है। हनुमानजी के जन्मोत्सव पर हमें कम से कम 51 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना ही चाहिए। तुलसीदासजी को जब अकबर ने कैद करने का सोचा तो तुलसीदासजी ने इसका पाठ प्रारंभ कर दिया था जिसके चलते चमत्कार हुआ और अकबर के दरबार में न जाने कहां से हजारों की संख्या में बंदलों ने आक्रमण कर दिया। अंत में अकबर ने हार मान ली थी।
नित्य हनुमान चालीसा बढ़ने से आपमें आध्यात्मिक बल, आत्मिक बल और मनोबल बढ़ता है। इसे पवित्रता की भावना महसूस होती है। शरीर में हल्कापन लगता है और व्यक्ति खुद को निरोगी महसूस करता है। इससे भय, तनाव और असुरक्षा की भावना हट जाती है। जीवन में यही सब रोग और शोक से मुक्त होने के लिए जरूरी है।
सुंदरकांड का पाठ : हनुमानजी के जन्मोत्सव और विशेष दिनों में सुंदरकांण का पाठ करने का प्रचलन है। सुंदरकाण्ड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। जीवन में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है तो आप संकल्प लेकर लगातार सुंदरकांड का पाठ करें। इसी के साथ ही किसी भी प्रकार की आपकी कोई मनोकामना हो तो उसे पूर्ण करने के लिए मनोयोग से विधिवत रूप से सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमान जयंती पर सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।