पंजीरी भोग क्या है, क्यों है भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय

WD Feature Desk
शनिवार, 16 अगस्त 2025 (07:04 IST)
panjiri bhog: पंजीरी एक पारंपरिक भारतीय व्यंजन है, जिसे घी में भुने हुए आटे या सूखे धनिये के पाउडर, शक्कर और मेवों को मिलाकर बनाया जाता है। इसे विशेष रूप से त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इस अवसर पर धनिया पंजीरी का प्रसाद बनाया जाता है।
 
पंजीरी भोग क्या है? 'पंजीरी' एक सूखा, मीठा व्यंजन है जो मुख्य रूप से गेहूं के आटे, देसी घी, चीनी या गुड़, सूखे मेवे और स्वादिष्ट जड़ी-बूटियों से बनाया जाता है। यह स्वादिष्ट भी होता है और शरीर के लिए लाभकारी भी। जन्माष्टमी के पावन पर्व पर, पंजीरी का भोग भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है। 
 
भगवान श्रीकृष्ण को पंजीरी क्यों है अतिप्रिय?
पंजीरी का भोग भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय है, जिसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं:
1. धार्मिक महत्व:
धन का कारक: शास्त्रों में धनिये को धन का कारक माना गया है। जन्माष्टमी पर धनिया पंजीरी का भोग लगाने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और धन की वर्षा होती है।
 
कृष्ण का प्रिय भोग: माखन-मिश्री के अलावा, धनिया पंजीरी भी भगवान कृष्ण के प्रिय भोगों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि बचपन में माता यशोदा अपने नटखट कान्हा को माखन-मिश्री के साथ-साथ यह पौष्टिक पंजीरी भी खिलाया करती थीं।ALSO READ: जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्‍ण को 8 वक्त क्यों लगाएं भोग, जानिए रहस्य
 
2. वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण:
पाचन के लिए उत्तम: जन्माष्टमी का व्रत रात तक चलता है। जन्माष्टमी का व्रत खोलने के लिए पंजीरी को सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह हल्का और आसानी से पचने वाला होता है। धनिया पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है।
 
शरीर को पोषण: पंजीरी में धनिया, घी और मेवे होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा और पोषण प्रदान करते हैं। खासकर बारिश के मौसम में, यह शरीर को गर्म रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है।
 
कफ-वात को नियंत्रित करना: आयुर्वेद के अनुसार, धनिया कफ और वात को नियंत्रित करने में सहायक होता है। जन्माष्टमी का पर्व अक्सर बारिश के मौसम में आता है, जब कफ और वात से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं, ऐसे में पंजीरी का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है।
 
यही कारण है कि जन्माष्टमी की पूजा धनिया पंजीरी के भोग के बिना अधूरी मानी जाती है। भक्त इसे पूरी श्रद्धा से बनाकर कान्हा को अर्पित करते हैं और फिर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

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