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राधा और श्रीकृष्ण की लीला का प्रतीक है : राधाकृष्ण कुंड

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हमें फॉलो करें राधाकृष्ण कुंड
12 अगस्त 2020 को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है।भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं भारतीय जनमानस में रच बच गई हैं। उन्हीं लीलाओ में उनकी प्रेम लीला भी शामिल है। भगवान श्री कृष्ण और राधा अध्यात्मिक प्रेम के प्रतीक बन गए हैं। दोनों एक दूसरे के हृदय में रहते हैं। हालांकि एक बार ऐसा भी हुआ था कि जब राधा श्रीकृष्ण से दूर-दूर रहने लगी। यहां तक कि राधा ने कृष्ण से यह भी कह दिया कि मुझे मत छूना।
 
भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के भेजे हुए असुर अरिष्टासुर का वध कर दिया था और अरिष्टासुर कान्हा की गाय के बीच का बैल रूप धारण कर आया था। राधा और अन्य गोपियों  को लगा कि श्रीकृष्ण ने बैल को मार कर गौ हत्या की है,सभी ने कृष्ण को गौ का हत्यारा मान लिया।
 
श्रीकृष्ण ने राधा को समझाया कि उन्होंने बैल को नहीं बल्कि एक असुर को मारा है। राधा यह सुनकर भी नहीं मानी।
तब श्रीकृष्ण ने अपनी एड़ी जमीन पर पटकी, बांसुरी बजाई और वहां जल की धारा बहने लगी जिससे एक एक कुंड बन गया। श्री कृष्ण ने सभी तीर्थों से यहां आने के लिए कहा और सभी तीर्थ वहां उपस्थित हो गए। सभी तीर्थ कुंड में प्रवेश कर गए। 
 
श्री कृष्ण ने इस कुंड में स्नान किया। स्नान के बाद उन्होंने कहा कि इस कुंड में स्नान करने वाले को एक ही स्थान पर सभी तीर्थों में स्नान करने का पुण्य मिल जाएगा।  इस घटना की निशानी आज भी गोवर्धन पर्वत की तलहटी में राधाकृष्ण कुंड के रुप में मौजूद है। 
राधाकृष्ण कुंड

 

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