krishna Janmashtami 2024: श्री कृष्‍ण जन्माष्टमी की अर्द्धरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त और लड्डू गोपाल की पूजा विधि

krishna Janmashtami 2024: कृष्‍ण जन्मोत्सव पर बालकृष्‍ण की पूजा का सही मुहूर्त जानिए

WD Feature Desk
सोमवार, 26 अगस्त 2024 (11:23 IST)
krishna Janmashtami Shubh Muhurat 2024
krishna Janmashtami Puja Muhurat 2024: आज संपूर्ण देश भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्मोत्सव मना रहा है। कृष्‍ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि को रोहिणी नक्ष‍त्र और जयंती योग में हुआ था। इसलिए प्रचलन से घर या मंदिर में उनकी पूजा अर्धरात्रि को निशीथ काल में की जाती है। इस बार योग संयोग के साथ ही ग्रह नक्षत्रों की वही स्थिति बनी है जो 5251 वर्ष पहले कृष्‍ण जन्म पर बनी थी। इसलिए इस बार पूजा और उत्सव का महत्व बढ़ गया है। जानिए अर्धरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त और लड्डू गोपाल की पूजा विधि।
 
अर्धरात्रि निशिथ पूजा का समय- 12:01 am से 12:45 am के बीच रहेगा।
 
अष्टमी तिथि: अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 26 अगस्त 2024 को तड़के 03:39 बजे प्रारंभ होगी जो अगले दिन यानी 27 अगस्त 2024 को 02:19 एएम बजे समाप्त होगी
 
रोहिणी नक्षत्र: रोहिणी दोपहर 03:55 से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 27 अगस्त को प्रात: दोपहर 03:38 पर समाप्त होगा। 
 
जयंती योग: इस बार 26 अगस्त 2024 सोमवार को श्री अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से कृष्‍ण जन्माष्टमी के दिन जयंती योग रहेगा।
 
सर्वार्थसिद्धि योग: सर्वार्थसिद्धि योग 26 अगस्त को दोपहर 03:55 से अगले दिन यानी 27 अगस्त को सुबह 05:57 तक रहेगा।
krishna Janmashtami Shubh Muhurat 2024
पूजा की विधि:-
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर मंदिर को साफ-स्वच्छ करे लें। 
- अब चौकी या पटिया लेकर उस पर लाल कपड़ा बिछा लीजिए। 
- भगवान् कृष्ण की मूर्ति चौकी पर एक पात्र में रखिए। 
- अब दीपक जलाएं और साथ ही धूप बत्ती भी जला लीजिए। 
- भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें कि, 'हे भगवान् कृष्ण! कृपया पधारिए और पूजा ग्रहण कीजिए। 
- श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराएं।  
- फिर गंगाजल से स्नान कराएं।  
- अब श्री कृष्ण को वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार कीजिए।  
- भगवान कृष्ण को दीप दिखाएं।  
- इसके बाद धूप दिखाएं। 
- अष्टगंध, चंदन या रोली का तिलक लगाएं और साथ ही अक्षत (चावल) भी तिलक पर लगाएं।  
- माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पण कीजिए और तुलसी का पत्ता विशेष रूप से अर्पण कीजिए। 
- साथ ही पीने के लिए गंगा जल रखें।
 
कृष्ण मंत्र:-
- 'कृं कृष्णाय नमः'
- 'गोकुल नाथाय नमः' 
- 'गोवल्लभाय स्वाहा'
- 'ॐ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा'
- 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री'।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्या गया जी श्राद्ध से होती है मोक्ष की प्राप्ति !

Budh asta 2024: बुध अस्त, इन राशियों के जातकों के लिए आने वाली है मुसीबत, कर लें ये उपाय

Weekly Horoscope: इस हफ्ते किसे मिलेगा भाग्य का साथ, जानें साप्ताहिक राशिफल (मेष से मीन राशि तक)

श्राद्ध पक्ष कब से प्रारंभ हो रहे हैं और कब है सर्वपितृ अमावस्या?

Shani gochar 2025: शनि के कुंभ राशि से निकलते ही इन 4 राशियों को परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

सभी देखें

धर्म संसार

Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा के दिन जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

20 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

20 सितंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का चौथा दिन : जानिए तृतीया श्राद्ध तिथि का महत्व और इस दिन क्या करें

Indira ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व एवं पारण का समय क्या है?

अगला लेख
More