Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत के नियम, कैसे करें श्रृंगार, कैसी हो प्रतिमा

हमें फॉलो करें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत के नियम, कैसे करें श्रृंगार, कैसी हो प्रतिमा
भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को होने के कारण इसको कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी के निर्धारण में अष्टमी तिथि का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं। 
 
इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति,आयु और समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है। जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे आज विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं। इस बार जन्माष्टमी का संयोग 30 अगस्त 2021 को बन रहा है।
 
कैसे करें जन्माष्टमी के लिए श्री कृष्ण की मूर्ति का चुनाव? 
 
सामान्यतः जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं।

प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा कृष्ण की, संतान के लिए बाल कृष्ण की और सभी मनोकामनाओं के लिए बंशी वाले कृष्ण की स्थापना करें। इस दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी कर सकते हैं। 
 
क्या होगा श्रृंगार?

श्री कृष्ण के श्रृंगार में फूलों का खूब प्रयोग करें। पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें। काले रंग का प्रयोग न करें। वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित किए जाएं तो सर्वोत्तम होगा। सुंदर दिखने वाली हर सामग्री कान्हा पूजा में प्रयोग करें...
 
क्या होगा इनका प्रसाद?
 
पंचामृत जरूर अर्पित करें। उसमे तुलसी दल भी जरूर डालें। मेवा, माखन और मिसरी का भोग भी लगाएं। कहीं-कहीं, धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है। पूर्ण सात्विक भोजन जिसमें तमाम तरह के व्यंजन हों, इस दिन श्री कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। 
 
कैसे मनाएं जन्माष्टमी का पर्व? 
 
प्रातःकाल स्नान करके व्रत या पूजा का संकल्प लें। दिन भर जलाहार या फलाहार ग्रहण करें और सात्विक रहें। मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें। उस प्रतिमा को पहले दूध, दही, शहद, शर्करा और अंत में घी से स्नान कराएं। इसी को पंचामृत स्नान कहते हैं।
 
इसके बाद प्रतिमा को जल से स्नान कराएं। तत्पश्चात पीताम्बर, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें। ध्यान रखें की अर्पित की जाने वाली चीजें शंख में डालकर ही अर्पित की जाएंगी। पूजा करने वाला व्यक्ति काले या सफेद वस्त्र धारण नहीं करेगा। इसके बाद अपनी मनोकामना के अनुसार मंत्र जाप करें। अंत में प्रसाद ग्रहण करें और वितरण करें।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Janmashtami 2021: भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन 10 काम करें, कान्हा होंगे प्रसन्न