जम्मू। डांगरी नरसंहार के बाद आतंकी खतरे की खबरों के बीच प्रदेश प्रशासन ने सभी सरकारी अफसरों और कर्मचारियों से कहा है कि वे जम्मू तथा श्रीनगर में होने वाले 26 जनवरी के सभी समारोहों में उपस्थिति सुनिश्चित करें। यह आदेश इस बार सभी सरकारी कर्मचारियों व अफसरों के अतिरिक्त पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के लिए भी लागू होगा।
इस बार के आदेश के अनुसार इन सभी को ऑफिशियल ड्यूटी के तहत बीटिंग रिट्रीट में भी शिरकत करनी होगी। इस बीच जम्मू में मुख्य समारोह एमए स्टेडियम परेड में आयोजित किया जाएगा जिसे सुरक्षा व्यवस्था के तहत सील कर दिया गया है।
गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान आतंकी हमले की केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की चेतावनी को देखते हुए जम्मू पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है। पुलिस अफसरों और मुलाजिमों को 30 जनवरी तक छुट्टियां नहीं लेने के लिए कहा गया है।
अंतरराष्ट्रीय सीमा से आतंकियों के प्रदेश में घुसपैठ की आशंका के मद्देनजर पाकिस्तान की सीमा से सटे क्षेत्रों और पंजाब से लगी सीमा पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है। वाहनों की जांच पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और जम्मू-पठानकोट तथा जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर विशेष रूप से जांच की जा रही है।
पुलिस ने सभी ट्रक ड्राइवरों और उनके सहायकों का रिकॉर्ड रखने के लिए एक मोबाइल ऐप भी बनाया है ताकि आतंकवादियों के प्रवेश और हथियारों की तस्करी को रोका जा सके। सीमा की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है और सभी सीमावर्ती सड़कों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल को तैनात किया गया है और 24 घंटों गश्त और गहन जांच का जिम्मा सौंपा गया है।
जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर शांति सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं और मुख्य समारोह स्थल के आसपास विशेष प्रबंध किए गए हैं और शांति बनाए रखने के लिए लोगों से सहयोग मांगा गया है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को लेकर पिछले कुछ समय से जो घटनाक्रम हो रहे हैं, उससे आतंकियों के आका हताश हो चुके हैं।
कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान जिस तरह अलग-थलग पड़ चुका है, उसे देखते हुए आईएसआई किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की साजिश रच रही है। पाकिस्तानी सेना ने एलओसी पर अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। कुछ रेडियो संदेश भी पकड़े गए हैं, जो इस बात का संकेत कर रहे हैं कि बीते 1 सप्ताह से अपनी मांद में छिपे आतंकियों को उस कश्मीर में बैठे उनके कमांडर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए लगातार कह रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारी ने बताया कि आतंकी अपनी उपस्थिति का अहसास कराने के लिए किसी सॉफ्ट टारगेट को चुन सकते हैं। वे किसी जगह बम विस्फोट या सुरक्षाबलों के कैंप पर हमला कर सकते हैं। आतंकी हमले की आशंका को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था की नए सिरे से समीक्षा कर आवश्यक सुधार किए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर में कैंसर के बढ़ते मामले चिंता का कारण बने: जम्मू-कश्मीर में बढ़ते कैंसर के मामले चिंता का कारण बन गए हैं। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में पिछले 4 वर्षों (2019 से 2022) में 51,000 कैंसर के मामले देखने को मिले हैं जिनमें लगातार वृद्धि हो रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर में कैंसर के अनुमानित 51,577 मामले दर्ज किए गए जिसमें 2019 में 12,396 मामले, 2020 में 12,726 मामले, 2021 में 13,060 मामले और 2022 में 13,395 मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों पर एक नजर डालने से पता चलता है कि कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
मंत्रालय के मुताबिक इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने 'नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट' के लिए यह जानकारी जुटाई। इस रिपोर्ट के मुताबिक उम्र बढ़ने वाली आबादी, गतिहीन जीवनशैली, सिगरेट का उपयोग, खराब आहार और वायु प्रदूषण के जोखिम कारकों के साथ कैंसर एक बहुआयामी बीमारी है।
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि 'औद्योगिक और जल प्रदूषण से संबंधित कैंसर के मामलों की संख्या फिलहाल उपलब्ध नहीं है'। अतीत में इन मामलों में वृद्धि में योगदान देने वाले कारकों की पहचान करने के लिए कई अध्ययन किए गए हैं।
शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के 2012 के एक अध्ययन ने कैंसर की बढ़ती घटनाओं को 'आहार प्रथाओं और जीवनशैली विकल्पों' के साथ-साथ उच्च नमक सामग्री वाले खाद्य पदार्थों के सेवन के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसके अतिरिक्त इनमें से कुछ रंगों जैसे कैरमोसीन और टार्ट्राजिन को कश्मीर में कुछ खाद्य पदार्थों, मसालों और सॉस में रंग एजेंटों के रूप में इस्तेमाल किया जाता पाया गया है।
हाल के वर्षों में कश्मीर में खाद्य पदार्थों में मिलावट और संदूषण का महत्व बढ़ गया है। 2017 में क्षेत्रीय कैंसर केंद्र, एसकेआईएमएस, सौरा में फेफड़े के कैंसर के 507 रोगियों को पंजीकृत किया गया था, जो अस्पताल-आधारित कैंसर रजिस्ट्री वाला एकमात्र संस्थान है। रजिस्ट्री के अनुसार फेफड़े का कैंसर उस वर्ष के सभी कैंसरों में सबसे ऊपर था, ओसोफैगल कैंसर की जगह ले रहा था, जो इससे पहले सबसे अधिक रोगियों को पीड़ित के रूप में दर्ज किया गया था।(फ़ाइल चित्र)
Edited by: Ravindra Gupta