Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कड़ाके की ठंड में सैनिक LOC पर लिख रहे हैं वीरता की दास्तां

जम्मू कश्मीर में डल झील पर क्रिकेट खेलने को बेकरार हैं युवा

हमें फॉलो करें कड़ाके की ठंड में सैनिक LOC पर लिख रहे हैं वीरता की दास्तां

सुरेश एस डुग्गर

, बुधवार, 3 जनवरी 2024 (14:04 IST)
  • कश्मीर में सर्दी का रोमांच भरते नजारे
  • भयानक सर्दी के कारण जमी डल झील 
  • 1960 में CM ने चलाई थी कार

Jammu Kashmir weather news : कश्मीर में भयानक सर्दी के बीच 2 नजारे कंपकंपी दौड़ाने के साथ ही रोमांच भी भर रहे हैं। LOC के कई इलाकों में शून्य से नीचे तापमान में सैनिक वीरता की दास्तानें लिख रहे हैं तो दूसरी ओर भयानक सर्दी के कारण जम जाने की ओर अग्रसर डल झील पर क्रिकेट खेलने की आस लगाई जा रही है।
 
 
एलओसी पर शून्य से कई डिग्री नीचे तापमान पर जहां हवा के तूफानी थपेड़े ऐसे कि एक पल के लिए खड़ा होना आसान नहीं। ऊपर से हिमपात के कारण चारों ओर बर्फ की दीवार। इन सबके बावजूद दुश्मन से निपटने के लिए खड़े भारतीय जवानों की हिम्मत देख वे पहाड़ भी अपना सिर झुका लेते हैं जिनके सीनों पर वे खड़े होते हैं।
 
कश्मीर सीमा की एलओसी पर ऐसे दृश्य आम हैं। सिर्फ कश्मीर सीमा पर ही नहीं बल्कि करगिल तथा सियाचिन हिमखंड में भी ये भारतीय सैनिक अपनी वीरता की दास्तानें लिख रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि वीरता की दास्तानें सिर्फ शत्रु पक्ष को मार कर ही लिखी जाती हैं बल्कि इन क्षेत्रों में प्रकृति पर काबू पाकर भी ऐसी दास्तानें इन जवानों को लिखनी पड़ रही हैं।
 
webdunia
अभी तक कश्मीर सीमा की कई ऐसी सीमा चौकियां थीं जहां सर्दियों में भारतीय जवानों को उस समय राहत मिल जाती थी जब वे नीचे उतर आते थे। 24 वर्ष पूर्व तक ऐसा ही होता था क्योंकि पाकिस्तानी पक्ष के साथ हुए मौखिक समझौते के अनुरूप कोई भी पक्ष उन सीमा चौकिओं पर कब्जा करने का प्रयास नहीं करता था जो सर्दियों में भयानक मौसम के कारण खाली छोड़ दी जाती रही हैं।
 लेकिन करगिल युद्ध के उपरांत ऐसा कुछ नहीं हुआ।
 
नतीजतन भयानक सर्दी के बावजूद भारतीय जवानों को उन सीमा चौकिओं पर भी कब्जा बरकरार रखना पड़ रहा है जो करगिल युद्ध से पहले तक सर्दियों में खाली कर दी जाती रही हैं तो अब उन्हें करगिल के बंजर पहाड़ों पर भी सारा साल चौकसी व सतर्कता बरतने की खातिर चट्टान बन कर तैनात रहना पड़ रहा है।
 
webdunia
जबकि दूसरी ओर विश्व प्रसिद्ध डल झील भयानक सर्दी के कारण पूरी तरह से जमने की ओर अग्रसर है। ऐसे में लोग बेसब्री से इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि क्या इस बार भी डल पर कोई गाड़ी चलेगी या फिर क्या इस बार भी लोग क्रिकेट खेल सकेंगे?
 
जैसे जैसे सर्दी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे विश्व प्रसिद्ध डल झील की ऊपरी सतह भी जमती जा रही है। इतना जरूर है कि कश्मीर आने वाले पर्यटकों के लिए यह नजारा बेहद ही दिलकश है जिन्होंने पहली बार इस झील को जमते हुए देखा है।
 
चिल्लेकलां के दौरान डल झील का जमना कोई नई बात नहीं है। वर्ष 1960 में गुलाम मुहम्मद बख्शी के मुख्यमंत्रित्वकाल में डल झील पूरी तरह जम गई थी। उस दौरान बख्शी ने डल पर जीप चलाने का मजा लिया था। उस समय न्यूनतम तापमान शून्य से 12 डिग्री नीचे तक गिर गया था।
 
इसके अलावा 1986 में डल झील पूरी तरह जम गई थी तब निवर्तमान मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने डल पर मोटर साइकिल चलाई थी। इसी साल स्थानीय युवकों ने जमे हुए डल पर एक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया था। इस टेनिस बाल क्रिकेट टूर्नामेंट को लोगों ने सफलतापूर्वक समाप्त भी किया था।
 
बुजुर्ग कहते हैं कि चिल्लेकलां के दिनों में अक्सर डल का पानी जम जाता है। इस साल के शुरू में भी डल झील पूरी तरह जम गई थी। वर्ष 2005 के दिसंबर में भी चिल्लेकलां के दौरान डल का पानी जम गया था। जो कि करीब एक महीने तक जमा रहा था। दिन का तापमान अभी सामान्य से 4 डिग्री ऊपर है और रात का तापमान शून्य से 6 डिग्री नीचे।
 
यह भी सच है कि घाटी में कड़ाके की ठंड से जमी डल झील को देखने के लिए सैलानियों की भीड़ उमड़ रही है। कल रात को झील के बीच में कई हिस्सों में भी बर्फ से जम गई। इसके अलावा कश्मीर के अन्य इलाकों में ठंड का प्रकोप रहा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जासूस हैं महुआ मोइत्रा, वकील अनंत देहाद्रई ने लगाया TMC नेता पर एक और आरोप