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राजौरी में आतंकियों के रॉकेट लांचर हमले में 2 सैनिक शहीद

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सुरेश एस डुग्गर

, शुक्रवार, 5 मई 2023 (15:52 IST)
Terrorist attac: जम्मू। आज शुक्रवार को राजौरी (Rajouri) के कंडी इलाके के केसर क्षेत्र में सेना के 2 जवानों को उस समय शहादत देनी पड़ी, जब इलाके में छुपे आतंकियों ने उन पर रॉकेट लांचर जैसे विस्फोटकों से जबरदस्त हमला कर दिया। सेनाधिकारी समेत 4 जवान (soldiers) जख्मी भी हो गए।
 
हमलावर आतंकियों के ग्रुप में वे ही आतंकी शामिल हैं जिन्होंने 17 दिन पहले भाटा धुरियां (Bhata Dhurian) में एक सैन्य वाहन पर हमला बोलकर 5 जवानों को मार डाला था। आतंकी किस गुट के हैं, सेना इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है।
 
पर सूत्र बताते थे कि आज मुठभेड़ आरंभ होने से पहले जिस तरह का हमला आतंकियों ने तलाशी अभियान में जुटे सैनिकों पर बोला था वह 17 दिन पहले किए गए हमले की ही तरह था जिसमें राकेट लांचर व स्नाइपर राइफलों का इस्तेमाल हुआ था। सेना अपने वक्तव्य में इसे मानती थी कि आतंकियों ने जबरदस्त विस्फोटक का इस्तेमाल किया था।
 
अगर सूत्रों पर विश्वास करें तो ये हमलावर आतंकी वे ही हो सकते हैं, जो भाटा धुरियां में सेना के लिए मुसीबत बने हुए थे और यही नहीं इसके प्रति तो यह भी कहा जा रहा है कि ये दल पिछले करीब अढ़ाई साल से एरिया में एक्टिव है और इसमें अति प्रशिक्षित पाक परस्त आतंकी हैं जो विदेशी नागरिक हैं।
 
बताया जाता है कि उनके पास अति आधुनिक हथियार भी हैं। अक्टूबर 2021 में भी इसी दल ने करीब एक महीने तक सेना के हजारों जवानों को छकाया था। वे कभी पुंछ के जंगलों में एक्टिव हो जाते थे और कभी राजौरी में। दोनों जुड़वां जिले हैं और एलओसी से सटे हुए हैं।
 
तब अक्टूबर 2021 में सेना ने आतंकी हमलों में 9 जवान गंवाए थे। अब 17 दिनों के अंतरात में वह 7 जवानों को गंवा चुकी है। तब भी एक महीनेभर चले अभियान में दर्जनों आतंकियों को मार गिराने का दावा किया गया था पर कोई शव आज तक प्राप्त नहीं हो पाया है।
 
आज भी जिन 2 आतंकियों को मार गिराने की बात कही जा रही है उनके भी शव फिलहाल नहीं मिल पाए हैं। यही कारण था कि सेना ने अब आतंकियों की मौत के प्रति कुछ बोलने से इंकार करते हुए कहा है कि शव मिलने पर ही पुष्टि हो पाएगी की कितने आतंकी मारे गए हैं।
 
फिलहाल इलाके में स्थिति गंभीर बनी हुई है। अभी तक खुफिया अधिकारी भी यह अनुमान नहीं लगा पाए हैं कि कितने आतंकी इस गुट में शामिल हैं जो लगभग अढ़ाई सालों से सुरक्षाबलों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। घने जंगलों और गहरी खाईयों के अतिरिक्त इस गुट को मिलने वाली स्थानीय स्पोर्ट से सेना भी खफा और गुस्से में है। वह अब इसके प्रति स्थानीय नागरिकों को खबरदार भी करने लगी है।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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