Vidya Sagar Ji : जैन धर्म के महान संत आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज

WD Feature Desk
सोमवार, 1 जुलाई 2024 (10:35 IST)
Highlights : 
 
जैन धर्म के महान संत के बारे में जानें।  
विश्व-वंदनीय मुनिश्री आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महाराज।  
आचार्यश्री विद्यासागर जी भारत भूमि के प्रखर तपस्वी थे। 

ALSO READ: Jain religion: जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर भगवान चन्द्रप्रभु की जयंती, जानें 10 बातें
 
Vidyasagar jee : दिगंबर जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर जी मुनि महाराज का 56वां दीक्षा दिवस मनाया गया। उन्होंने आषाढ़ शुक्ल पंचमी को जैन धर्म की महान दीक्षा ग्रहण की थीं, जिन्होंने अपने त्याग से हमें धर्म की राह दिखाई हैं। उल्लेखनीय है कि जैन कैलेंडर के अनुसार विद्यासागर महाराज जी की मुनि दीक्षा 30 जून 1968 को तथा तिथिनुसार आषाढ़ शुक्ल पंचमी को आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज जी से मात्र 22 वर्ष की आयु में ब्रह्मचारी विद्याधर ने अजमेर में मुनि दीक्षा प्राप्त की थी।
 
जानें उनके बारे में : 
 
आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज का जन्म विक्रम संवत्‌ 2003 सन्‌ 1946 के दिन गुरुवार, आश्विन शुक्ल पूर्णिमा की चांदनी रात में कर्नाटक जिला बेलगाम के ग्राम सदलगा के निकट चिक्कोड़ी ग्राम में हुआ था। उनके माता-पिता धन-धान्य से संपन्न एक श्रावक श्रेष्ठी श्री मलप्पाजी अष्टगे (पिता) और धर्मनिष्ठ श्राविका श्रीमतीजी अष्टगे (माता) थी। जिनके घर एक बालक का जन्म हुआ और उनका नाम विद्याधर रखा गया।
 
वहीं बालक विद्याधर संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के नाम से प्रख्यात हुए और अपने धर्म और अध्यात्म के प्रभावी प्रवक्ता और श्रमण-संस्कृति की उस परमोज्ज्वल धारा के अप्रतिम प्रतीक माने गए, जो सिन्धु घाटी की प्राचीनतम सभ्यता के रूप में आज भी अक्षुण्ण होकर समस्त विश्व में अपनी गौरव गाथा को लेकर जाने जाते हैं।
 
आचार्यश्री कन्नड़ मातृभाषी हैं और कन्नड़ एवं मराठी भाषाओं में आपने हाईस्कूल तक शिक्षा ग्रहण की, लेकिन आज आप बहुभाषाविद् हैं और कन्नड़ एवं मराठी के अलावा हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश और बंगला जैसी अनेक भाषाओं के भी ज्ञाता हैं।
 
बाल्यकाल से ही वे साधना को साधने और मन एवं इन्द्रियों पर नियंत्रण करने का अभ्यास करते थे, लेकिन युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही उनके मन में वैराग्य का बीज अंकुरित हो गया। मात्र 20 वर्ष की अल्पायु में गृह त्याग कर आप जयपुर (राजस्थान) पहुंच गए और वहां विराजित आचार्यश्री देशभूषण जी महाराज से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लेकर उन्हीं के संघ में रहते हुए धर्म, स्वाध्याय और साधना करते रहे।
 
विद्यासागरजी में अपने शिष्यों का संवर्द्धन करने का अभूतपूर्व सामर्थ्य था तथा उनका बाह्य व्यक्तित्व सरल, सहज, मनोरम होने के साथ ही वे अंतरंग तपस्या में वे वज्र-से कठोर साधक रहे हैं। 
 
कन्नड़भाषी होते हुए भी विद्यासागरजी ने हिन्दी, संस्कृत, मराठी और अंग्रेजी में लेखन किया। उन्होंने 'निरंजन शतकं', 'भावना शतकं', 'परीष हजय शतकं', 'सुनीति शतकं' व 'श्रमण शतकं' नाम से 5 शतकों की रचना संस्कृत में की तथा स्वयं ही इनका पद्यानुवाद किया था। उनके द्वारा रचित संसार में 'मूकमाटी' महाकाव्य सर्वाधिक चर्चित, काव्य-प्रतिभा की चरम प्रस्तुति के रूप में जाना जाता है। यह रूपक कथा-काव्य, अध्यात्म, दर्शन व युग-चेतना का संगम है। 
 
संस्कृति, जन और भूमि की महत्ता को स्थापित करते हुए आचार्यश्री ने इस महाकाव्य के माध्यम से राष्ट्रीय अस्मिता को पुनर्जीवित करने का कार्य किया है। आज उनकी रचनाएं मात्र कृतियां ही नहीं हैं, वे तो अकृत्रिम चैत्यालय हैं। 
 
आज भी उनके उपदेश, प्रवचन, प्रेरणा और आशीर्वाद से चैत्यालय, जिनालय, स्वाध्याय शाला, औषधालय, यात्री निवास, त्रिकाल चौवीसी आदि की स्थापना कई स्थानों पर हुई है और अनेक जगहों पर निर्माण जारी है। जिनकी प्रेरणा से हथकरघा को नई पहचान मिली, ऐसे आचार्य गुरुवर श्रीविद्यासागर जी मुनिराज को उनके 56वें दीक्षा दिवस पर शत-शत नमन। और इसीलिए जैन धर्म में आषाढ़ शुक्ल पंचमी का दिन विशेष महत्व रखता है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mahalaxmi Vrat 2024 : 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत शुरू, जानें महत्व, पूजा विधि और मंत्र

Dussehra 2024: शारदीय नवरात्रि इस बार 10 दिवसीय, जानिए कब रहेगा दशहरा?

Ganesh Visarjan 2024: गणेश विसर्जन का 10वें दिन का शुभ मुहूर्त 2024, विदाई की विधि जानें

Surya gochar 2024 : शनि की सूर्य पर शुभ दृष्टि से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन

Parivartini Ekadashi: पार्श्व एकादशी 2024 व्रत पूजा विधि, अचूक उपाय, मंत्र एवं पारण मुहूर्त

सभी देखें

धर्म संसार

Mahalaxmi Vrat 2024 : महालक्ष्मी व्रत के 16 दिन, जानें कैसे करें पूजन

Ganesh utsav 2024: गणेश उत्सव पर भगवान गणपति को सातवें दिन कौनसा भोग लगाएं और प्रसाद चढ़ाएं

Ganesh utsav 2024: गणेश जी का दांत कैसे टूटा, जानिए 4 रोचक कथाएं

Shukra Gochar : शुक्र गोचर से बना मालव्‍य योग, छप्‍पर फाड़कर मिलेगा 3 राशियों को धन

12 सितंबर: महंत अवैद्यनाथ की पुण्यतिथि, जानें 5 अनुसनी बातें

अगला लेख
More