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पर्युषण पर्व कब होंगे प्रारंभ।
पर्युषण पर्व का महत्व।
श्वेतांबर जैन समुदाय का महापर्व शुरू।
Paryushan Parv : जैन कैलेंडर के अनुसार श्वेतांबर जैन समुदाय के पर्युषण महापर्व शनिवार, 31 अगस्त 2024 से आरंभ हो रहे हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार आत्मदर्शन से परमात्मा दर्शन का यह पर्व विशिष्ट भाव लिए होता हैं, इस उपासना अवधि में क्षमा धारण करके ज्ञान, दर्शन, चारित्र्य और सम्यक तप की उपासना में हर व्यक्ति धार्मिक भावनाओं ओतप्रोत होते है। पर्युषण में उपासना ही उपासना होती है। पर्युषण धर्म जागरण का महापर्व है। इसमें क्षमापना, क्षमा करना और क्षमा मांगना निहित है।
जैन संस्कृति का महापर्व पर्युषण प्रारंभ होने से जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाज के मंदिरों व उपाश्रयों में जहां चहल-पहल बढ़ती दिखाई देगी और लगातार 8 दिनों तक तप-तपस्याओं में लीन रहने के साथ ही अनेक धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
इसके साथ ही श्वेतांबर जैन मंदिरों में रंगबिरंगी विद्युत रोशनी की विशेष सजावट से जहां मंदिरों की आभा बढ़ जाएगी, वहीं इस अवसर पर मंदिरों में प्रतिष्ठित गुरु भगवंतों की सुंदर अंगरचना की जाएगी। प्रतिदिन रात्रि महाआरती होगी। इन दिनों सुबह-शाम सामूहिक प्रतिक्रमण, भक्तामर पाठ, स्नात्र पूजा और स्वाध्याय के कार्यक्रम होंगे।
बता दें कि श्वेतांबर जैन समुदाय आत्मा की शुद्धि का यह महापर्व 8 दिवस रूप में मनाता है और इस समय तपस्या ही तपस्या होती है। प्रत्याख्यान, प्रतिक्रमण एवं आराधना के भाव ही होते हैं। इसमें मतभेद, ईर्ष्या, कलह और अहंकार, लोभ-लालच आदि का भाव के लिए किंचित मात्र भी स्थान नहीं होता है। इन दिनों मन शुद्धि के साथ ही तप-त्याग की महानता भी होती है। और पर्व के अंतिम दिवस संवत्सरी महापर्व पर धर्म जागृति का भाव रखकर 8वें दिन कषायों की शांति के लिए क्षमा को धारण करते हुए चिंतन किया जाता है तथा ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की साधना को अंगिकार करते हुए छोटे-बड़ों से क्षमायाचना की जाती है।
श्वेतांबर परंपरा के 8 दिवसीय 'पर्युषण' समाप्त होने के साथ ही दिगंबर परंपरा का दसलक्षण पर्व शुरू हो जाता है, जिसमें दिगंबर जैन धर्मावलंबी '10 लक्षण' या महापर्व पर्युषण पर्व के रूप में मनाते है। और श्वेतांबर परंपरा के अनुसार संवत्सरी महापर्व 'मिच्छामी दुक्कड़म्' कहते हुए मनाया जाता है।
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