Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(आंवला नवमी)
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल नवमी
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-अक्षय आंवला नवमी
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

मोक्ष सप्तमी : जैन समुदाय मनाएगा भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस

हमें फॉलो करें मोक्ष सप्तमी : जैन समुदाय मनाएगा भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस
जैन धर्म के अनुसार श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याणक दिवस मनाया जाता है। दिगंबर एवं श्वेतांबर जैन मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ की विशेष पूजा-अर्चना, शांतिधारा कर निर्वाण लाडू चढ़ाने की प्रथा है। 
 
जैन धर्म के अनुसार जिसका मोक्ष हो जाता है उसका मनुष्य भव में जन्म लेना सार्थक हो जाता है। जब तक संसार है तब तक चिंता रहती है, जहां मोक्ष का पूर्णरूपेण क्षय हो जाता है वहीं मोक्ष हो जाता है।
 
हमें अपनी आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए मोहरूपी शत्रु का नाश करना पड़ता है। अत: हमें सभी का सम्मान करना चाहिए। सब बड़ों के प्रति विनय भाव रखना चाहिए, क्योंकि विनय ही मोक्ष का द्वार है। इसीलिए सभी को चैतन्य प्रभु से रिश्ता जोड़ना चाहिए, क्योंकि पुण्यात्मा जहां भी चरण रखते हैं वहां से दुख, अंधकार, कषाय, क्लेश स्वमेव ही प्रकाश व सुखों में परिवर्तित हो जाते हैं। 
 
प्रभु का स्पर्श तो हमें स्वर्ण ही नहीं पारस बना देता है। हम भी पार्श्व प्रभु की तरह अपने भवों को कम करके निर्वाण प्राप्ति की ओर बढ़ें। अत: तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याण पर शिखरजी क्षेत्र की पूजा व निर्वाण कांड का पाठ करने पश्चात निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है। जिस प्रकार यह लाडू रस भरी बूंदी से निर्मित किया जाता है, उसी प्रकार अंतरंग से आत्मा की प्रीति रस से भरी हो जाए तो परमात्मा बनने में देर नहीं लगती। 
 
इस दिन खास तौर पर जैन समाज की बालिकाएं सामूहिक रूप से निर्जला उपवास करती है, दिन भर पूजन, स्वाध्याय, मनन-चिंतन, सामूहिक प्रतिक्रमण करते हुए संध्या के समय देव-शास्त्र-गुरु की सामूहिक भक्ति कर आत्म चिंतन करती है। शाम को उनको घोड़ी-बग्घी में बिठाकर घुमाया जाता है तथा अगले दिन उनका पारण कराया जाता है। यह पर्व जैन धर्मावलंबियों में मोक्ष सप्तमी के नाम से जाना जाता है।

इस दिन 'ॐ ह्रीं श्री पार्श्वनाथ जिनेन्द्राय नमो नम:' मंत्र का 108 बार जाप करने से जीवन के कष्‍टों से मुक्ति मिलती है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्यों धुंधकारी बन गया एक प्रेत, पढ़िए पौराणिक कथा