क्षमावाणी पर्व 2020 : आत्मिक शुद्धता का पर्व है पयुर्षण, देता है क्षमा भाव का संदेश

राजश्री कासलीवाल
Forgiveness Day In Jainism
 
पयुर्षण पर्व के दस दिन मन का अहंकार दूर करके झुकने की कला, दूसरों का दिल जीतने की, किसी के भी दिल को ठेस न पहुंचाने की शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा हमें देते हैं और निरंतर क्षमा के पथ पर आगे बढ़ाते हुए मोक्ष की प्राप्ति कराते हैं। दसलक्षण पर्व के दिनों में किया गया त्याग और उपासना हमें जीवन की सच्ची राह दिखाते हैं। आचार्य विद्यासागर जी के अनुसार भी 'क्षमा' वीरों का आभूषण है। सही ही कहा जाता है कि क्षमा बराबर तप नहीं, क्षमा का धर्म आधार होता है। क्रोध सभी के लिए अहितकारी है और क्षमा सदा, सर्वत्र सभी के लिए हितकारी होती है। हर धर्म में क्षमा का महत्व है। वैदिक ग्रंथों में भी क्षमा की श्रेष्ठता पर बल दिया गया है। 
 
क्षमा शब्द मानवीय जीवन की आधारशिला है। जिसके जीवन में क्षमा है, वही महानता को प्राप्त कर सकता है। क्षमावाणी हमें झुकने की प्रेरणा देती है। दसलक्षण पर्व हमें यही सिख देता है कि क्षमावाणी के दिन हमें अपने जीवन से सभी तरह के बैर भाव-विरोध को मिटाकर प्रत्येक व्यक्ति से क्षमा मांगनी चाहिए और हम दूसरों को भी क्षमा कर सकें यही भाव मन में रखना चाहिए। यही क्षमावाणी है। 
 
सभी को जय जिनेंद्र का नाम लेकर झुकना सीखना चाहिए, क्योंकि क्षमा हमें झुकने की प्रेरणा देती है। चाहे छोटा हो या बड़ा क्षमा पर्व पर सभी से दिल से क्षमा मांगी जानी चाहिए। क्षमा कभी भी सिर्फ उससे नहीं मांगी जानी चाहिए, जो वास्त‍व में हमारा दुश्मन है। बल्कि हमें हर छोटे-बड़े जीवों से क्षमा मांगनी चाहिए। जब हमें क्रोध आता है तो हमारा चेहरा लाल हो जाता है और जब क्षमा मांगी जाती है तो चेहरे पर हंसी-मुस्कुराहट आ जाती है। क्षमा हमें अहंकार से दूर करके झुकने की कला सिखाती है। क्षमावाणी पर्व पर क्षमा को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची मानवता है। 
 
हम क्षमा उससे मांग‍ते हैं, जिसे हम धोखा देते है। जिसके प्रति मन में छल-कपट रखते है। जीवन का दीपक तो क्षमा मांग कर ही जलाया जा सकता है। अत: हमें अपनी प‍त्नी, बच्चों, बड़े-बुजुर्गों, पड़ोसी हो या हमारे मिलने-जुलने वाले सभी से क्षमा मांगना चाहिए। 
 
क्षमा मांगते समय मन में किसी तरह का संकोच, किसी तरह का खोट नहीं होना चाहिए। हमें अपनी आत्मा से क्षमा मांगनी चाहिए, क्योंकि मन के कषायों में फंसकर हम तरह-तरह के ढ़ोंग, स्वांग रचकर अपने द्वारा दूसरों को दुख पहुंचाते हैं। उन्हें गलत परिभाषित करने और नीचा दिखाने के चक्कर में हम दूसरों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखते जो कि सरासर गलत है। 
 
हमें तन, मन और वचन से चोरी, हिंसा, व्याभिचार, ईर्ष्या, क्रोध, मान, छल, गाली, निंदा और झूठ इन दस दोषों से दूर रहना चाहिए। यही इस पर्व की सीख हैं। दसलक्षण पर्व के दिनों में किया गया त्याग और उपासना हमें मोक्ष के मार्ग पर ले जाती है। 
 
दसलक्षण पर्व जैन धर्म के दस लक्षणों को दर्शाते हैं। जिनको अपने जीवन में उतार कर हर मनुष्य मुक्ति का मार्ग अपना सकता है। 
 
ये हैं दसलक्षण के दस धर्मों की शिक्षा :- 
 
* उत्तम क्षमा - क्षमा को धारण करने वाला समस्त जीवों के प्रति मैत्रीभाव को दर्शाता है। 
 
* उत्तम मार्दव - मनुष्य के मान और अहंकार का नाश करके उसकी विनयशीलता को दर्शाता है। 
 
* उत्तम आर्जव - इस धर्म को अपनाने से मनुष्य निष्कपट एवं राग-द्वेष से दूर होकर सरल ह्रदय से जीवन व्यतीत करता है। 
 
* उत्तम सत्य - जब जीवन में सत्य धर्म अवतरित हो जाता है, तब मनुष्य की संसार सागर से मुक्ति निश्चित है। 
 
* उत्तम शौच - अपने मन को निर्लोभी बनाने की सीख देता है, उत्तम शौच धर्म। अपने जीवन में संतोष धारण करना ही इसका मुख्य उद्देश्य है। 
 
* उत्तम संयम - अपने जीवन में संयम धारण करके ही मनुष्य का जीवन सार्थक हो सकता है। 
 
* उत्तम तप - जो मनुष्य कठिन तप के द्वारा अपने तन-मन को शुद्ध करता है, उसके कई जन्मों के कर्म नष्ट हो जाते हैं। 
 
* उत्तम त्याग - जीवन के त्याग धर्म को अपना कर चलने वाले मनुष्य को मुक्ति स्वयंमेव प्राप्त हो जाती है। 
 
* उत्तम आंकिचन - जो मनुष्य जीवन के सभी प्रकार के परिग्रहों का त्याग करता है। उसे मोक्ष सुख की प्राप्ति अवश्य होती है। 
 
* उत्तम ब्रह्मचर्य - जीवन में ब्रह्मचर्य धर्म के पालन करने से मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है। 
 
इस प्रकार दस धर्मों को अपने जीवन में अपना कर जो व्यक्ति इसके अनुसार आचरण करता है, वह निश्चित ही निर्वाण पद को प्राप्त कर सकता है। पयुर्षण पर्व के यह दस दिन हमें इस तरह की शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा देते है और निरंतर क्षमा के पथ पर आगे बढ़ाते हुए मोक्ष की प्राप्ति कराते हैं। 
 
अत: क्षमावाणी के दिन बिना किसी संकोच के तन-मन से सभी से क्षमायाचना मांगना (करना) ही जैन धर्म का उद्देश्य है। अत: क्षमावाणी के इस पावन पर्व पर मैं दिल से सभी से क्षमायाचना करती हूं।
 
अंत में बस इतना ही 'जय जिनेंद्र ! उत्तम क्षमा...।'

ALSO READ: Kshamavani Parva 2020 : मन, वचन से माफी मांगने का पर्व है क्षमावाणी

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Chanakya Niti : चाणक्य नीति के अनुसार धरती पर नर्क भोगता है ऐसा आदमी

Shradh paksha 2024: श्राद्ध पक्ष में कब किस समय करना चाहिए पितृ पूजा और तर्पण, कितने ब्राह्मणों को कराएं भोजन?

Tulsi Basil : यदि घर में उग जाए तुलसी का पौधा अपने आप तो जानिए क्या होगा शुभ

Shradh paksha 2024: श्राद्ध पक्ष आ रहा है, जानिए कुंडली में पितृदोष की पहचान करके कैसे करें इसका उपाय

Shani gochar 2025: शनि के कुंभ राशि से निकलते ही इन 4 राशियों को परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

सभी देखें

धर्म संसार

16 shradh paksha 2024: अकाल मृत्यु जो मर गए हैं उनका श्राद्ध कब और कैसे करें?

18 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

18 सितंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Guru Gochar : 12 साल बाद गुरु करेंगे बुध की राशि में गोचर, इन राशियों का गोल्डन टाइम होगा शुरू

Shardiya navratri 2024 ashtami date: शारदीय नवरात्रि की अष्टमी कब है, जानें शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More