श्वेतांबर जैन समाज के पर्यूषण पर्व के पूर्व शुरू होने वाली 15 दिवसीय अक्षय निधि तपस्या की शुरुआत हुई। कल स्थापना के साथ ही संकल्प लेकर इस तपस्या में 15 दिन तक एकासन एवं संवत्सरी के दिन उपवास कर इसे पूर्ण किया जाएगा।
एकासन में दिन के 12 बजे व शाम 7 बजे बाद जल ग्रहण नहीं किया जाता। नित्य प्रतिदिन क्रियाओं के साथ अक्षत निवेद्य लोंग सुपारी इलायची एवं अपने-अपने कलश में 21 फैरिया लगाकर डाली जाती है एवं 2 घंटे की पूर्ण की जाती है।
अक्षय निधि का तप अधिकतर समाज की महिलाएं करती हैं। कहते हैं कि अक्षय निधि तप करने वाले तपस्वी तप के नाम अनुरूप ही इस भव और पर भव में अक्षय सुख को प्राप्त होते हैं। इस तप को करने से आत्मिक, दैहिक और मानसिक ताप समाप्त हो जाते हैं।