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पुरी की जगन्नाथ यात्रा 20 जून से होगी प्रारंभ, कैसे हों यात्रा में शामिल, क्या है रथ खींचने के नियम?

हमें फॉलो करें पुरी की जगन्नाथ यात्रा 20 जून से होगी प्रारंभ, कैसे हों यात्रा में शामिल, क्या है रथ खींचने के नियम?

अनिरुद्ध जोशी

Jagannath rath yatra 2023: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ओडिशा के पुरी में प्रतिवर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की विश्‍व प्रसिद्ध रथ यात्रा निकाली जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 20 जून 2023 को यह रथ यात्रा निकलेगी। इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश विदेश से हजारों लोग आते हैं। आओ जानते हैं कि आप कैसे यात्रा में शामिल हों और क्या है रथ खींचने के नियम।
 
कैसे हों रथ यात्रा में शामिल?
इसके लिए आपको कुछ भी नहीं करना पड़ता है। कोई भी व्यक्ति रथ यात्रा में शामिल हो सकता है। मान्यता है कि जो भी भक्त इस शुभ रथयात्रा में सम्मिलित होते हैं उन्हें 100 यज्ञों के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
 
क्या है रथ खींचने के नियम?
रथ यात्रा में तीन रथ होती हैं। एक जगन्नाथजी का, दूसरा बलरामजी का और तीसरा सुभद्रा जी का। बलरामजी के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं। देवी सुभद्रा के रथ को 'दर्पदलन' या ‘पद्म रथ’ कहा जाता है। भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज' कहते हैं। तीनों रथों को खींचकर 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है जहां भगवान 10 दिनों तक आराम करने के बाद 11वें दिन पुन: जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं।
 
भगवान जगन्नाथ अर्थात श्री कृष्ण के रथ को नंदी घोष रथ में 16 पहिये लगे होते हैं और 45 फीट ऊंचा होता है। इसे जिस रस्सी से खींचते हैं उसे शंखाचुड़ा नाड़ी कहते हैं। बलरामजी के रथ में 14 पहिये होते हैं यह 43 फीट ऊंचा होता है। इस रथ को खींचने वाली रस्सी को बासुकी कहते हैं। सुभद्रा के रथ में 12 पहिये लगे होते हैं और यह रथ 42 फीट ऊंचा होता है। इसे जिस रस्सी से खींचते हैं उसे स्वर्णचूड़ा नाड़ी कहा जाता है।
 
भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने को लेकर कोई भी नियम नहीं है। किसी भी धर्म, जाति, प्रांत या देश का व्यक्ति रख खींच सकता है। इसे कोई भी भक्त खींच सकता है। क्रम से सभी रथ की रस्सी को खींचते हैं। माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने वाला जीवन काल के चक्र से मुक्त हो जाता है।
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जगन्नाथ पुरी का किराया कितना है? पुरी कैसे पहुंचें?
- पुरी पहुंचने के लिए सड़क, रेलवे और हवाई तीनों मार्ग उपलब्ध है।
- देश के हर बड़े शहरों से पुरी का रेलवे स्टेशन जुड़ा हुआ है। यहां पर आप सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं।
- आपके शहर से डायरेक्ट पुरी के लिए कोई ट्रेन उपलब्ध नहीं है तो आप भुवनेश्वर ट्रेन से पहुंचकर पुरी के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं।
- भुवनेश्वर से पुरी की दूरी मात्र 60 किलोमीटर और पूरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है।
- यदि आपका पुरी तक पहुंचने का माध्यम हवाई जहाज है तो इसका नजदीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर है।
 
पुरी में कहां पर ठहरें?
पुरी जगन्नाथ मंदिर क्षेत्र में ठहरने के लिए 4 विकल्प हैं- 1.मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बने भक्ति निवास, 2.धर्मशाला 3. प्राइवेट होटल और 4.पूरी का मरीन ड्राइव लाइन। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार रुकने की व्यवस्था देख सकते हैं। यात्रा में शामिल होने के लिए आ रहे हैं तो पहले से ही जगह को बुक कराना होगा। ऑफिशियल वेबसाइट पर ट्रस्ट के रूम बुक करा सकते हैं।

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