नई दिल्ली। सेबी और शेयर बाजारों ने आइडिया सेल्यूलर और वोडाफोन इंडिया के बीच 23 अरब डॉलर के विलय सौदे को सशर्त मंजूरी दे दी है। यह सौदा नियामक द्वारा जारी जांच तथा सार्वजनिक शेयरों तथा नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) की मंजूरी पर निर्भर है। इस सौदे की घोषणा मार्च में की गई थी और हाल ही में प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने इसकी मंजूरी दी।
वोडाफोन मोबाइल सर्विसेज, वोडाफोन इंडिया तथा आइडिया सेल्यूलर तथा उनके संबंधित शेयरधारकों एवं कर्जदाताओं के बीच विलय को लेकर तैयार मसौदे और व्यवस्था पर अपने अनापत्ति प्रमाणपत्रों में बीएसई और एनएसई ने कहा कि कंपनियों को नियामक द्वारा निर्धारित सभी शर्तों को एनसीएलटी से मंजूरी लेते समय उसके समक्ष रखने की जरूरत होगी।
सेबी के नियमन के अनुसार गैर-अनापत्ति प्रमाणपत्र से कंपनियां एनसीएलटी के समक्ष मसौदा योजना जमा कर सकती है। मसौदा योजना पर अपनी विस्तृत टिप्पणी में सेबी ने कहा कि उसे शिकायत मिली है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि आइडिया सेल्यूलर के एक प्रवर्तक ने विलय योजना के मसौदे की घोषणा से पहले कंपनी के 0.23 प्रतिशत शेयरों की खरीद की। इस प्रकार की खरीद प्रतिभूति कानून का उल्लंघन है।
नियामक के अनुसार इस आरोप की सेबी जांच कर रहा है। सेबी को अधिग्रहण नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर भी शिकायत मिली है। आइडिया ने स्वैच्छिक रूप से हलफनाम देकर कहा है कि वह जारी जांच के संदर्भ में सेबी के निर्देशों का अनुपालन करेगी।
उल्लेखनीय है कि मार्च में वोडाफोन इंडिया तथा आइडिया सेल्यूलर ने दोनों कंपनियों के विलय की घोषणा की। इस विलय से देश की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी अस्तित्व में आएगी जिसका मूल्य 23 अरब डालर से अधिक होगा तथा बाजार हिस्सेदारी 35 प्रतिशत होगी। (भाषा)