आ गया है कनेक्टेड कारों का ज़माना

जनमेजय सिंह सिकरवार
तेज़ रफ़्तार इंटरनेट अब हमारे जीवन के हर हिस्से पर अपनी पकड़ बना रहा है। कुछ समय पहले हमने आपको इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स के बारे में कुछ रोचक बातें बताई थीं। इसी इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स का एक नया प्रयोग है ‘कनेक्टेड’ कारें।
क्या होती हैं कनेक्टेड कार?
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, कनेक्टेड कारों को इस प्रकार बनाया जाता है कि वे तेज़ रफ़्तार इंटरनेट से जुड़ी रह सकें व ड्राइवर को रास्ता बताने के लिए नक्शे का उपयोग करने के साथ कार के अंदर मौजूद दूसरे नेट-सक्षम उपकरणों से अपनी कनेक्टिविटी साझा कर सकें। दूसरे शब्दों में, कार को कनेक्टेड कार कहने के लिए उसमें एक कम-से-कम जीपीएस और इंटरनेट वाला मल्टीमीडिया सिस्टम होना चाहिए।
 
अत: इन कारों में जो मल्टीमीडिया सिस्टम लगाए जाते हैं, उन्हें एन्टरटेनमेंट सिस्टम की जगह इन्फ़ोटेनमेंट सिस्टम कहा जाने लगा है, क्योंकि ये एन्टरटेनमेंट के साथ आपको इन्फ़ॉर्मेशन भी देते हैं। इनमें से कुछ प्रणालियां तो केवल एक नेविगेशन सिस्टम की सुविधा के साथ आपके मोबाइल को इन्फ़ोटेनमेंट सिस्टम से जोड़कर मोबाइल से कॉल या संदेश भेजने या उसमें स्टोर किया हुआ संगीत सुनवाने तक सीमित हैं, लेकिन अब बन रहे कुछ उन्नत इन्फ़ोटेनमेंट सिस्टम आसपास की कारों की प्रणालियों से ‘बात करने’ में भी सक्षम होंगे।
 
यह डेटा आम तौर पर केवल उस गाड़ी की गति, दिशा और आपकी कार से उसकी दूरी सम्बन्धी होगा जिससे आपकी कार की अन्य कारों से दूरी सुरक्षित रखी जा सके व तीव्र गति पर कोई ग़लती होने से बचाई जा सके। किसी संभावित टक्कर की दशा में यह प्रणाली पहले ड्राइवर को सूचित करने या आपात स्थिति में स्वयं कार का नियंत्रण अपने हाथ में लेकर उसे सुरक्षित ढंग से रोकने में सक्षम होगी।
 
आइए, आपको बताते हैं आपके सफ़र और जीवन में क्या-क्या करेंगी कनेक्टेड कारें : 
• कनेक्टेड कारें दो प्रकार की होंगी। पहली, मूलभूत सुविधाओं वाली, जो इंटरनेट से जुड़कर आपको नक्शा देखने व गंतव्य सेट करने देंगी। कार में ऑटो-पायलट यानी स्वचालित संचालन की सुविधा होने पर यह गाड़ी आपको गंतव्य पर स्वयं पहुंचा सकेगी और आप अपनी सीट पर लंबी तानकर सो सकेंगे या कार के ही इंटरनेट का उपयोग कर कोई और काम निपटा सकेंगे।
 
• दूसरी उन्नत सुविधाओं वाली होगी जिसमें पेरेंटल कंट्रोल शामिल हैं यानी माता-पिता या कार मालिक को लाइव फ़ीड यानी कार में लगे कैमरे से कार के भीतर का दृश्य दिख सकेगा, जिसमें कार की गति, दिशा, वर्तमान स्थान आदि शामिल होंगे। इसके डैशबोर्ड पर लगे कैमरे से वे ड्राइविंग का नज़ारा भी देख सकेंगे और आवश्यकता पड़ने पर गाड़ी को रुकने का आदेश भी दे सकेंगे। यह कार अपने पते-ठिकाने की जानकारी माता-पिता या कार मालिक के मोबाइल ऐप पर भी भेज सकेगी और यह ठीक वैसा ही दिखेगा जैसे आज हम मैप पर नेविगेशन के दौरान देखते हैं।
 
• कनेक्टेड कारें आपको दफ़्तर के गेट पर छोड़कर स्वयं जाकर पार्किंग में खाली स्थान में पार्क हो जाएंगी और जब आप वापस जाना चाहें, मोबाइल ऐप पर आदेश से दफ़्तर के द्वार पर आपको लेने पहुंच जाएंगी। इसके लिए वे दफ़्तर की इमारत के इंटरनेट कनेक्शन से इमारत के नक्शे व पार्किंग में खाली स्थान की जानकारी ले लेंगी। क्या कहा? मोबाइल चोरी होने पर कार भी चोरी हो सकती है? नहीं, आपकी कार का दरवाज़ा फिर भी आपके पास मौजूद चाबी से ही खुलेगा! 
 
क्या हैं परेशानियां?
कनेक्टेड कारों का ज़माना आ तो गया है, परन्तु इनके विशेषकर भारत में काम करने में अभी बहुत समस्याएं हैं। नक्शे की मूलभूत सुविधा वाली कारें तो अब हमारी सड़कों पर दिखाई देती हैं, लेकिन इनकी बाकी सुविधाओं के भारतीय सड़कों पर सफ़ल होने में अभी वक्त लगेगा। ऑटो-पायलट के जरिए चलने के लिए विशेष सड़कों की व्यवस्था, ड्राइविंग के भारतीय तरीके व इंटरनेट की पर्याप्त गति का अभाव अभी इन सुविधाओं के हम तक पहुंचने में रोड़ा बने हुए हैं।
 
इसके अलावा, हाल ही में एक कनेक्टेड कार को हैक कर लेने का प्रदर्शन भी हुआ, जिसमें हैकर ने कई मील दूर से एक चलती हुई कार को रुकने का आदेश दे दिया, जिसमें वास्तव में दूर से आदेश देने की सुविधा ही नहीं थी। इससे इन कारों के सुरक्षित होने पर एक बड़ा प्रश्न चिह्न लगा और निर्माताओं को नए सिरे से इनकी सुरक्षा पर गौर करना पड़ रहा है।
 
कनेक्टेड कारों का निर्माण करने वाली एक कंपनी के शीर्ष पदाधिकारी तो यहां तक कह चुके हैं कि स्वचालित रूप से चलने वाली कारों का भारत में चल पाना संभव नहीं है। अत: देखना मज़ेदार होगा कि हमें कनेक्टेड कारों की क्या-क्या सुविधाएं और किस हद तक मिल पाएंगी?
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