नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर धोखाधड़ी से होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है। मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रीय हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने वाले लोगों को इस तरह के मामलों की सूचना देने के लिए एक मंच उपलब्ध कराते हैं, जिससे कि खून-पसीने की उनकी कमाई के नुकसान को रोका जा सके।
बयान में सुरक्षित डिजिटल भुगतान प्रणाली उपलब्ध कराने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कहा गया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने साइबर धोखाधड़ी से होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है। संबंधित हेल्पलाइन एक अप्रैल 2021 को सीमित तरीके से शुरू की गई थी।
गृह मंत्रालय के तहत हेल्पलाइन 155260 और इसका रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन (आई4सी) द्वारा संचालित किया गया है जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक, सभी बड़े बैंकों, भुगतान बैंक, वॉलेट और ऑनलाइन कारोबारियों का सक्रिय सहयोग मिला है।
आई4सी द्वारा कानून प्रवर्तन एजेंसियों, बैंकों और मध्यवर्ती संस्थाओं को एकीकृत करने के लिए वित्तीय नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी सूचना एवं प्रबंधन प्रणाली संस्थानिक रूप से विकसित की गई है।
इसे वर्तमान में सात राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश) द्वारा किया जा रहा है जिसके दायरे में देश की जनसंख्या का 35 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आता है। धोखाधड़ी के कृत्यों में शामिल लोगों द्वारा जनता से ठगी किए जाने पर अंकुश लगाने के लिए इसे पूरे भारत में लागू करने का काम जारी है।
बयान में कहा गया कि सीमित स्तर पर शुरुआत के बाद दो महीने की छोटी अवधि में ही हेल्पलाइन 155260 से फर्जीवाड़े की 1.85 करोड़ रुपए की रकम जालसाजों के हाथों में जाने से रोकने में मदद मिली है।
हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म से सभी बड़े सरकारी और निजी बैंक जुड़े हैं, जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, येस बैंक और कोटक महिन्द्रा बैंक आदि शामिल हैं।इसमें पेटीएम, फोनपे, मोबिकविक, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे भुगतान और वॉलेट मंच भी शामिल हैं।(भाषा)