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Explainer : क्या होती है साइबर ग्रूमिंग? कैसे बचाएं अपने बच्चों को...

हमें फॉलो करें Explainer : क्या होती है साइबर ग्रूमिंग? कैसे बचाएं अपने बच्चों को...
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वृजेन्द्रसिंह झाला

साइबर ग्रूमिंग (Cyber Grooming) एक ऐसा बढ़ता हुआ साइबर खतरा है, जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे और किशोर होते हैं। इसके माध्यम से बच्चे यौन शोषण तक का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में पैरेंट्‍स की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे अपने बच्चों को इस तरह के खतरे से न सिर्फ बचाएं बल्कि उन्हें सावधान भी करें। 
 
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ प्रो. गौरव रावल ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि साइबर शिकारी, जैसा कि नाम से पता चलता है, व्यक्ति (लड़का/लड़की) की स्पष्ट अरुचि के बावजूद बार-बार किसी व्यक्ति का ऑनलाइन पीछा करते हैं। इंटरनेट, ईमेल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या इलेक्ट्रिक संचार के अन्य रूप उनके पीछा करने के साधन हैं।
 
दरअसल, साइबर ग्रूमिंग एक युवा व्यक्ति से ऑनलाइन 'दोस्ती' करने की प्रक्रिया है, जिससे ऑनलाइन यौन संपर्क और/या यौन शोषण करने के लक्ष्य के साथ उनके साथ शारीरिक मुलाकात की सुविधा मिलती है। साइबर ग्रूमिंग तब होती है जब कोई (अक्सर एक वयस्क) किसी बच्चे से ऑनलाइन दोस्ती करता है और यौन शोषण या भविष्य में तस्करी के इरादों के साथ भावनात्मक संबंध बनाता है।
 
साइबर ग्रूमिंग के मुख्य लक्ष्य : प्रो. रावल कहते हैं कि साइबर ग्रूमिंग का मुख्‍य टारगेट बच्चे से विश्वास हासिल करना, बच्चे से अंतरंग और व्यक्तिगत डेटा प्राप्त करना (अक्सर यौन प्रकृति में - जैसे कि यौन बातचीत, चित्र या वीडियो) ताकि आगे अनुचित सामग्री के लिए धमकी और ब्लैकमेल किया जा सके।
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साइबर अपराधी अक्सर एक बच्चे या किशोर की नकली आईडी बना लेते हैं और बच्चों के फ्रेंडली वेबसाइटों में अपने पीड़ित बच्चों (शिकार) से संपर्क करते हैं। चूंकि बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं और इस तथ्य से अनजान होते हैं कि उनसे साइबर ग्रूमिंग के उद्देश्य से संपर्क किया गया है।

उन्होंने बताया कि इनकी बातचीत अक्सर उम्र, शौक, स्कूल, परिवार के बारे में अस्पष्ट और सामान्य जान-पहचान के साथ शुरू होती है और यौन अनुभव से जुड़े प्रश्नों तक पहुचती है, जिसमें कामुक सामग्री के आदान-प्रदान के बारे में आग्रह किया जाता हैं। हालांकि, बच्चा या किशोर अंजाने में भी यह प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं जब वे वेबसाइटों या फ़ोरम में आकर्षक ऑफ़र जैसे कि संपर्क विवरण या स्वयं की अंतरंग तस्वीरों के बदले पैसे के साथ लॉगिन करते हैं।
 
संवेदनशील व्यक्तिगत फ़ोटो और वीडियो क्लिक करने के लिए स्मार्टफ़ोन सुरक्षित नहीं
 
प्रो. रावल कहते हैं कि व्यक्तिगत फोटो और वीडियो क्लिक करने के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करने से बचें। इंटरनेट या क्लाउड से जुड़े स्मार्टफोन का उपयोग करके क्लिक और रिकॉर्ड किए गए पिक्चर और वीडियो ऑटोमैटिकली इसमें सेव किए जा सकते हैं। भले ही कंटेंट फोन से हटा दिया गया हो, उसे उसी अकाउंट का यूज करके रिस्टोर किया जा सकता है। इन वीडियो और तस्वीरों को उपयोगकर्ता अपने मोबाइल उपकरणों से हटा सकता है, लेकिन दुर्भाग्य से क्लाउड सर्वर से नहीं। यदि आपने ऐसी तस्वीरें या वीडियो क्लिक किए हैं, तो उन्हें डिवाइस के साथ साथ क्लाउड और अन्य कनेक्टेड डिवाइस पूरी तरह से हटाना सुनिश्चित करें।
 
इस तरह पहचानें बच्चों में साइबर ग्रूमिंग के लक्षण
  • बच्चे अधिक समय ऑनलाइन बिताना शुरू करते हैं।
  • वे ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में रक्षात्मक/गुप्त होने लगते हैं।
  • किसी को अपना मोबाइल या लैपटॉप (डिवाइस) नहीं देखने देते हैं।
  • एकाग्रता या ध्यान से किसी भी बातों को ना सुनना या अपने में खोए रहना।
  • सामान्य बातों का भी चिढ़कर जवाब देने लगते हैं। 

क्या करें ताकि बच्चे न हों साइबर ग्रूमिंग का शिकार
  • बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।
  • उन्हें अन्य घरेलू गतिविधियों में शामिल करें।
  • उन्हें ऑनलाइन खतरों के बारे में जागरूक करें- साइबर बुलिंग, साइबर ग्रूमिंग, स्टाकिंग आदि।
  • बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखें।
  • बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों के लिए स्पष्ट समय व दिशानिर्देश निर्धारित करें।
  • उन्हें जिम्मेदारी से सोशल मीडिया का उपयोग करना सिखाए जैसे- मजबूत प्राइवेसी सेटिंग्स का चयन करना, अजनबियों से फ्रेंडशिप नहीं करना, आदि।
 
बच्चे भी बनें साइबर जागरूक
  • बच्चे अपनी सोशल मीडिया साइटों, मोबाइल डिवाइस आदि पर लोकेशन सर्विसेस को ऑफ करके रखे।
  • अपने व्यक्तिगत विवरण जैसे फोन नंबर, ई-मेल पता, अजनबियों के साथ तस्वीरें शेयर करने से बचें।
  • वेब कैमरा (लैपटॉप में डिफ़ॉल्ट) एक बार हैक हो जाने के बाद, नियमित गतिविधियों को देखने और रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • यदि आपको ऑनलाइन प्रोफ़ाइल मे कुछ परेशान करने वाला कंटैंट मिला हैं, तो संबंधित सोशल मीडिया साइट पर तुरंत रिपोर्ट करें।
  • जब भी साइबरस्टॉकिंग का पता चले, शिक्षकों, मित्रों और रिश्तेदारों से परामर्श करना पहला कदम होना चाहिए।
  • किसी भी ऑनलाइन अनैतिक गतिविधि या कंटैंट को राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, यानी www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट किया जा सकता है।
 
प्रो. रावल कहते हैं कि जिम्मेदार नागरिकों के रूप में यह हमारा कर्तव्य बन जाता है कि हम अपने किसी भी परिचित को चाइल्ड पोर्नोग्राफी या यौन रूप से स्पष्ट सामग्री के पब्लिकेशन (पोस्ट), कलेक्शन (स्टोर) और डिस्ट्रिब्यूशन (फॉरवर्ड) करने की अवैधता के बारे में सूचित करें।
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इस तरह हो सकता है बचाव
  • इंटरनेट पर ब्राउज़िंग करते समय अत्यधिक सावधान रहें। अजनबियों से फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने से पहले दो बार सोचें।
  • केवल आधिकारिक साइटों से या उन साइटों से मुफ्त सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें जिन्हें आप जानते हैं और भरोसा करते हैं।
  • नकली सोशल मीडिया खातों से सावधान रहें। सभी खाते वैध नहीं होते हैं और खातों पर दी गई सभी जानकारी सत्य नहीं होती है।
  • पॉप-अप और अवांछित मेल में लिंक पर क्लिक न करें, यह आपको फंसाने के लिए एक फ़िशिंग URL हो सकता है।
  • अनजान लोगों से ई-मेल, टेक्स्ट संदेश या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्राप्त लिंक पर क्लिक करने या फाइलों को खोलने से बचें। इनमे आपके सिस्टम को हेक करने के लिए मालवेयर जुड़ा हो सकता है।
  • वेब कैमरा (लैपटॉप में डिफ़ॉल्ट) एक बार हैक हो जाने के बाद, नियमित गतिविधियों को देखने और रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि जब उपयोग में न हो तो वेबकैम को ढंककर रखें।
  • खरीदारी और बैंकिंग सेवाओं को अपने डिवाइस (computer/tablet/mobile) पर या किसी विश्वसनीय नेटवर्क (WiFi) पर एक्सेस करना ही बेहतर है।
  • अपने डेटा को चोरी या हेक होने से बचाने के लिए संवेदनशील ब्राउज़िंग करते समय किसी मित्र के फोन, सार्वजनिक कंप्यूटर, साइबर कैफे सिस्टम या यहां तक कि मुफ्त वाईफाई का उपयोग करने से बचें।

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