कोलकाता नाइट राइडर्स के पास इस बार एक बेहतर कप्तान था। या यू कहें कि 12.25 करोड़ में श्रेयस अय्यर को उनकी बल्लेबाजी से ज्यादा उनकी कप्तानी के लिए खरीदा गया था। लेकिन पिछले साल के गत उपविजेता कोलकाता ने इस सत्र में एक अजीबो गरीब क्रिकेट खेली। टीम ने 14 मैच में से सिर्फ 6 मैच जीते और 8 मैच गंवाकर इस आईपीएल के प्लेऑफ से आधिकारिक रुप से बाहर हो गई।
इससे पहले मुंबई इंडियन्स और चेन्नई सुपर किंग्स टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी थी। 2 खिताब जीतने वाली कोलकाता शुरुआत में तो रंग में दिख रही थी और ऐसे रंग में दिख रही थी कि उसे हराना नामुमकिन सा लग रहा था। लेकिन जैसे ही टीम ने हारना शुरु किया तो 5 लगातार मैच हार डाले। यहां से उसकी वापसी बहुत कठिन थी।
नजर डालते हैं आखिर क्यों कोलकाता नाईट राइडर्सन नहीं बना पाई प्लेऑफ में जगह।
लगातार टीम में बदलती रही सलामी जोड़ी
पहले अजिंक्य रहाणे और वैंकटेश अय्यर एक साथ मैदान पर उतरे। उसके बाद एरॉन फिंच और सुनील नारायण को सलामी बल्लेबाजी के लिए भेजा गया। फिर सैम बिलिंग्स को भी सलामी बल्लेबाज के तौर पर खिलाया गया। पूरे टूूर्नामेंट में कोलकाता की टीम यह ही ढूंढती रही कि 2 सलामी बल्लेबाज कौन होने चाहिए। इसकी झलक अंतिम मैच में भी दिखी जब अभीजीत तोमर को सलामी बल्लेबाज बनाया गया। इससे पहले विकेट कीपर बाबा इंद्रजीत को भी सलामी बल्लेबाजी करवाई गई।
ऐसा नहीं था कि कोलकाता को सिर्फ 1 बल्लेबाज नहीं मिल रहा था, और इस कारण जोड़ी लगातार बदलनी पड़ रही थी वैंकटेश अय्यर तक को कभी सलामी बल्लेबाज तो कभी मध्यक्रम बल्लेबाज के तौर पर खिलाया जा रहा था।
विकेटकीपर्स के विकल्प नहीं
कोलकाता नाइट राइडर्स की सबसे बड़ी कमी विकेटकीपर्स की कमी होना रहा। मेगा नीलामी में खरीदे गए तीनों विकेटकीपर बाबा इंद्रजीत, शेल्डन जैक्सन और फिर सैम बिलिंग्स पूरे टूर्नामेंट में अपनी छाप नहीं छोड़ पाए। देशी विकेटकीपर्स का हाल तो और ज्यादा बुरा रहा और बिलिंग्स को खिलाने के कारण अधिक्तर मौकों पर फिंच की बली देनी पड़ती थी जो बुधवार को भी भारी पड़ी।
इसके अलावा शुरुआती 12 मैचों में 20 खिलाड़ियों को मौका दिया गया और एक भी मैच ऐसा नहीं रहा जब समान एकादश रखी गई हो। इससे टीम में स्थिरता ही नहीं आ सकी।
वन मैन आर्मी बन गई कोलकाता
कोलकाता नाइट राइडर्स इस सत्र में एक ईकाई की तौर पर ना खेलकर वन मैन आर्मी की तरह लगी। गेंदबाजी में तो या टीम को उमेश यादव दिखाते हुए दिखे। बल्लेबाजी में आंद्रे रसेल। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि दूसरे खिलाड़ी योगदान देना चाहते हैं। कुछ मौकों पर रिंकू सिंह और नीतिश राणा ने प्रदर्शन सुधारा लेकिन इन दोनों की जोडी़ भी सिर्फ 1 मैच ही कोलकाता को जिता पाई।