- नरेंद्र भाले
जनाब नज़ीर अकबराबादी ने अर्ज किया है...
'मय भी है, मीना भी है, सागर भी है, साकी नहीं,
जी में आता है आग लगा दे मयखाने को हम'
वाकई विशेष रूप से शारजाह में गेंदबाजों का गुबार दिल को झकझोर देता है। अब तक यहां संपन्न 3 मैचों में 1303 रन बने हैं और गेंदबाजों ने 90 बार आसमान (छक्के) देखा है। अर्थात बल्लेबाजों की चांदनी और गेंदबाजों के लिए अंधेरी रात। दिल्ली कैपिटल्स तथा कोलकाता नाइट राइडर्स का मैच इसका जीवंत प्रमाण है। इस मैच में कुल जमा 28 छक्कों के तूफान में अंतिम क्षणों में राइडर फिनिश लाइन पर दम तोड़ गए।
229 रनों के पहाड़ पर आक्रामक अंदाज में चढ़ते हुए इयोन मोर्गन और राहुल त्रिपाठी का बेखौफ अंदाज़ मन को लुभा गया। इस लक्ष्य के लिए सुनील नारायण और रसेल के रूप में केकेआर के पास गोला बारूद उपलब्ध था लेकिन दोनों ही बेहद सस्ते में फुस्स हो गए। शुरुआत में वाम हस्त नीतीश राणा ने भरपूर दम दिखाया लेकिन व्यक्तिगत 50 के बाद वह आपा खो गए।
करोड़पति पैट कमिंस ने गेंदबाजी में फिर निराश किया। बाद में मोर्गन और त्रिपाठी ने गेंदबाजों धुर्रे बिखेरे। रबाडा की जो धुनाई मोर्गन ने की उससे बरबस तेवतिया की याद ताजा हो गई। दूसरी तरफ त्रिपाठी ने कमिंस को फोड़ दिया। जहां 36 गेंदों में 92 रनों की जरूरत थी, वहां से इस जोड़ी ने स्कोर 200 तक पहुंचा दिया।
मात्र 18 गेंदों में 5 छक्कों के साथ 44 रनों के अंधड़ को मोर्गन ने नया आयाम दिया लेकिन एनरिच नोतजे ने उन्हें चलता कर मरती गेंदबाजी में प्राण फूंक दिए। अंतिम 6 गेंदों में 26 रन चाहिए थे लेकिन स्टोइनिस ने त्रिपाठी (32) को चलता करके अपनी टीम को 18 रन की जीत दिलाई।
इसके पूर्व धवन तथा पृथ्वी ने उम्दा शुरुआत की। भले ही धवन जल्दी चले गए लेकिन पृथ्वी ने 66 रनों की उम्दा पारी खेलकर सशक्त आधार तैयार कर दिया। इसके बाद की पटकथा श्रेयस अय्यर (नाबाद 88) और पंत (38) ने उम्दा अंदाज में लिख दी।
कमिंस, मावी, नागरकोटी तथा वरुण चक्रवर्ती की लाजवाब मेहमाननवाजी करते हुए विशेष रुप से श्रेयस अय्यर ने 244 के स्ट्राइक रेट से मैदान के चारों तरफ लुभावने प्रहार किए। वे शतक का सृजन कर सकते थे लेकिन अंतिम ओवर में उन्हें स्ट्राइक ही नहीं मिली।
रबाडा और स्टोइनिस की मोरगन ने जमकर खबर ली। इसकी भरपाई एनरिच ने 3 तथा हर्षल पटेल ने 2 विकेट लेकर पूरी की। रविचंद्र अश्विन ने लंबे अनुभव के बावजूद मात्र 2 ओवर में ही लजवा दिया। इसमें अब संदेह नहीं है कि शारजाह में आगे आने वाले मैचों में विशेष रुप से गेंदबाज तो दबाव में रहेंगे ही लेकिन बल्लेबाजों पर भी अतिरिक्त दबाव रहेगा।
200 के ऊपर रन बनाने का या फिर ऐसे किसी विकट लक्ष्य को हासिल करने का चैलेंज आगे रहेगा। देखना दिलचस्प होगा की शारजाह के इस मयखाने में आग लगाने का तमन्नाई कौन रहेगा?