नई दिल्ली। फंतासी गेमिंग प्लेटफॉर्म ड्रीम-11 ने भले ही इस सत्र में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के टाइटल अधिकार हासिल कर लिए हों लेकिन अगले 2 सत्रों में भी उसके पास इन अधिकारों का रहना इस पर निर्भर करेगा कि वह अपनी बोली को कितना बढ़ाता है, क्योंकि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) मौजूदा पेशकश से संतुष्ट नहीं है।
बीसीसीआई सूत्रों के अनुसार यही कारण है कि बोर्ड ने अब तक आधिकारिक रूप से ड्रीम-11 के नाम की घोषणा आईपीएल टाइटल अधिकारधारक के रूप में नहीं की है जबकि लीग के अध्यक्ष बृजेश पटेल ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की। ड्रीम-11 ने चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो की जगह ली जिसे सीमा पर भारत-चीन तनाव के कारण प्रायोजन से हटना पड़ा।
सूत्रों ने कहा है कि बीसीसीआई और ड्रीम इलेवन अब भी 3 साल के सशर्त करार पर बात कर रहे हैं जिसके तहत अगर वीवो प्रत्येक साल 440 करोड़ रुपए के करार पर वापसी नहीं करता है तो उसे 2021 और 2022 में प्रत्येक साल 240 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा।
इस मामले की जानकारी रखने वाले बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि यह हमेशा से स्पष्ट था कि सर्वश्रेष्ठ बोली लगाने वाले को टाइटल अधिकार नहीं मिले (बोली लगाने वालों से इच्छा पत्र स्वीकार करने से पहले बीसीसीआई ने यह स्पष्ट कर दिया था)।
उन्होंने कहा कि ड्रीम-11 ने सबसे बड़ी बोली लगाई है और अब भी अधिकार हासिल करने का प्रबल दावेदार है लेकिन आधिकारिक घोषणा से पहले कुछ मुद्दों का हल निकाला जा रहा है। पता चला है कि बीसीसीआई ड्रीम-11 से बात कर रहा है और चाहता है कि वह दूसरे और तीसरे साल की अपनी बोली में इजाफा करे।
अधिकारी ने कहा कि अगर यह सिर्फ 2020 के लिए है तो 222 करोड़ ठीक है। लेकिन यह 3 साल के लिए सशर्त बोली है। वीवो के साथ हमारा करार अब भी कायम है। उन्होंने पूछा कि हमने इसे खत्म नहीं किया है, यह बस रुका है। अगर हमें 440 करोड़ रुपए मिल रहे हैं तो हम 240 करोड़ रुपए क्यों लें? ऐसी स्थिति में ड्रीम-11 के पास 2 ही विकल्प होंगे कि वह या तो 1 साल के करार (असल में 4 महीने और 14 दिन) को स्वीकार करे या 2021 और 2022 की सशर्त राशि में इजाफा करे, जो पूरी तरह से उस पर निर्भर करेगा। (भाषा)