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जीत की तलाश में उतरेंगे राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली डेयरडेविल्स

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जयपुर , मंगलवार, 10 अप्रैल 2018 (15:46 IST)
जयपुर। पिछले पांच साल में सवाई मानसिंह स्टेडियम पर पहला आईपीएल मैच खेलने जा रही राजस्थान रॉयल्स बुधवार को  दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ उतरेगी तो उसका इरादा पिछली हार को भुलाकर जीत की राह पर लौटने का होगा। रॉयल्स और दिल्ली दोनों को पहले मैच में पराजय झेलनी पड़ी थी।
 
दिल्ली को किंग्स इलेवन पंजाब ने मोहाली में छह विकेट से हराया। दूसरी ओर रॉयल्स को सोमवार को हैदराबाद में सनराइजर्स हैदराबाद ने नौ विकेट से मात दी। दो साल के प्रतिबंध के बाद इस टी20 लीग में लौटी रॉयल्स के लिए टूर्नामेंट का आगाज अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा। 
 
कप्तान अजिंक्य रहाणे भी उस मैच को भुलाना चाहेंगे जिसमें वह बल्ले से नाकाम रहे और स्लिप में कैच भी छोड़ा। सनराइजर्स के गेंदबाजों ने रॉयल्स की बल्लेबाजी की कलई खोल दी।
 
स्टीव स्मिथ की गैर मौजूदगी में बल्लेबाजी वैसे ही कमजोर हो गई है और बेन स्टोक्स जैसे महंगे विदेशी खिलाड़ी स्पिनरों का सामना नहीं कर पा रहे। रॉयल्स के बल्लेबाज महज 125 रन बना सके। संजू सैमसन (49) को छोड़कर कोई नहीं चल पाया। टीम के मेंटर शेन वार्न को अपने खिलाड़ियों को अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित करना होगा। 
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दूसरी ओर दिल्ली की टीम भी पंजाब के खिलाफ मैच में के एल राहुल के अर्धशतक से मिली हार को भूली नहीं होगी। कप्तान गौतम गंभीर ने 55 रन बनाए और रिषभ पंत तथा क्रिस मौरिस ने भी योगदान दिया लेकिन जीत नहीं दिला सके। दिल्ली के पास ट्रेंट बोल्ट, मोहम्मद शमी, मौरिस और अमित मिश्रा के रूप में अच्छे गेंदबाज है। गंभीर के रूप में टीम के पास आक्रामक कप्तान भी है।
 
जयपुर में बादल घिरे हैं और हल्की बूंदाबांदी भी हुई है। मुख्य क्यूरेटर तापस चटर्जी ने कहा कि आरसीए पर प्रतिबंध का हमें खामियाजा भुगतना पड़ा है। आर्थिक दिक्कतों के बावजूद हम विकेट और आउटफील्ड का रख रखाव कर सके हैं ।इस पर ज्यादा क्रिकेट नहीं हुआ है लेकिन हमने इस पर घास रखी है।  उन्होंने कहा कि इस विकेट पर 160-170 रन बन सकते हैं। बल्लेबाजों के साथ इस पर गेंदबाजों को भी मदद मिलेगी। दिल्ली डेयरडेविल्स आईपीएल की शुरुआत से ही इस टूर्नामेंट में हैं, लेकिन टीम का दुर्भाग्य है कि कभी चैंपियन नहीं बन सकी है। वह शुरुआती दो साल यानी 2008 और 2009 में सेमीफाइनल तक और 2012 में प्लेऑफ में खेलने के अलावा वह कुछ खास नहीं कर सकी है।

अपनी सात साल की कप्तानी में कोलकाता नाइट राइडर्स की किस्मत संभालने वाले कप्तान गौतम गंभीर के आने से लगने लगा है कि इस बार दिल्ली डेयरडेविल्स की किस्मत भी बदल सकती है और उसके नाम के आगे चैंपियन शब्द जुड़ सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि डेयरडेविल्स ने बहुत ही होशियारी के साथ खिलाड़ियों पर दांव लगाया है और वह चैंपियनों वाला तालमेल बनाने में सफल हो गई है।

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