चांद के चक्कर लगाने के बाद ओरियन अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर लौट आया है। यान 26 दिनों के बाद लौटा है। बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इसके बाद अटकलें लगाई जा रही है कि क्या अब इंसान भी चांद पर जाएगा।
दरअसल, अमेरिका एक बार फिर से मिशन मून के लिए प्रयास करने लगा है। ऐसे में इसे लेकर आगे और भी डेवलेपमेंट सामने आने वाले हैं। बता दें कि अमेरिका लंबे समय से मून मिशन के लिए काम कर रहा है। दुनिया के दूसरे देशों की नजर भी अमेरिका के मून मिशन पर टिकी हुई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक ओरियन कैप्सूल (Orion Capsule) ने पृथ्वी के वायुमंडल में तेज आवाज के साथ प्रवेश किया और यह वापस आकर प्रशांत महासागर में गिरा। इसकी स्पीड को कम करने के लिए पैराशूट के विभिन्न सेटों का इस्तेमाल किया गया था। बता दें कि यह प्रोजेक्ट नासा के लिए काफी अहम माना जा रहा था। यही कारण है कि इसे नासा की भविष्य की स्पेस साइंस के लिहाज से एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी तो इसे सिर्फ ट्रायल के तौर पर ही भेजा गया था। इसमें किसी इंसान को नहीं भेजा गया था। अब नासा की योजना है कि इसके जरिए इंसानों को चांद तक भेजा जाए।
उल्लेखनीय है कि ओरियन को 16 नवंबर को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। आर्टेमिस-I की पृथ्वी पर वापसी 11 दिसंबर, 1972 को जीन सेर्नन और हैरिसन श्मिट की अपोलो 17 चंद्रमा लैंडिंग की 50वीं वर्षगांठ पर आई। वे कुल मिलाकर चंद्रमा पर चलने वाले 12 नासा अंतरिक्ष यात्रियों में से अंतिम थे।
बता दे कि करीब 50 साल बाद अमेरिका एक बार फिर से मिशन मून पर जुट गया है। नासा आर्टेमिस-1 की मदद से चांद पर इंसानों को भेजने की तैयारी कर रहा है। इस पूरे अभियान को 3 भागों में बांटा गया है आर्टेमिस-1, आर्टेमिस,-2 और आर्टेमिस-3. आर्टेमिस-1 की सफलता के बाद, 3 साल बाद चांद की धरती पर फिर से इंसानों के कदम पड़ेंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्टेमिस 2 साल 2024 में भेजा जाएगा और उसमें इंसानों को भेजा जाएगा। हालांकि, वे भी चंद्रमा का चक्कर लगाकर वापस आ जाएंगे। आर्टेमिस-3 में वैज्ञानिक सतह पर उतरेंगे। नासा ने इस मिशन के लिए समय सीमा 2025 और 2026 की रखी है, इसीलिए पहले के दोनों मिशनों का सफल होना सबसे ज्यादा जरूरी है।
edited by navin rangiyal