पाकिस्तान में अक्सर 2 से ढाई वर्षों में तख्तापलट की रवायत रही है इसे देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और पूर्व तेज गेंदबाज इमरान खान देश की सियासी पिच पर उम्मीद से कुछ ज्यादा ही टिकने में कामयाब रहे। दरसअल, पाकिस्तान में अब तक कोई भी निर्वाचित सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है।
भारत-पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से ही तनावपूर्ण रहे हैं और भारत की विदेश नीति हमेशा से कश्मीर सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर डायलॉग करने की रही है। लेकिन पाकिस्तान का ध्यान केवल कश्मीर पर रहा है। भारत विरोधी राग पाकिस्तान में सत्ता पाने और बनाए रखने के लिए बेहद मायने रखता है।
लेकिन हाल में इमरान खान ने यूक्रेन संकट को लेकर भारत की 'आजाद विदेश नीति' की तारीफ करने के बाद एक बार फिर से भारत की आर्थिक व्यवस्था को एक बेहतरीन उदाहरण बताया। उन्होंने 20 मार्च को कहा था कि रूस पर लगे वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद भारत उससे तेल खरीद रहा है, क्योंकि उनकी नीति जनता की भलाई के लिए है।
इसमें हैरान करने वाली बात यह है कि इमरान का भारत को लेकर यह बयान पाकिस्तान की मौजूदा विदेश नीति से अलग है, जो मुख्यत: कश्मीर मुद्दे और केंद्र सरकार को निशाना बनाने पर केंद्रित रही है। उल्लेखनीय है कि इमरान सरकार ने कश्मीर को लेकर भारत से कोई बातचीत न करने का फैसला किया था।
इमरान खान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं। लेकिन इमरान के बदले हुए सुरों का कारण पाकिस्तान में इमरान खान के खिलाफ विपक्ष दलों के अविश्वास प्रस्ताव लेकर आने से वहां राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। इस समय कई सहयोगी भी इमरान खान का साथ छोड़ रहे हैं।
इस समय सत्ता में बने रहने के लिए इमरान सरकार को कम से कम 172 सांसदों का समर्थन चाहिए। वहीं विपक्ष को भी अविश्वास प्रस्ताव पारित कराकर सरकार गिराने के लिए भी 172 सांसद चाहिए। एक जानकारी के मुताबिक इमरान खान के पास 164 वोट हैं, जबकि विपक्ष के पास यह संख्या 175 है। ऐसे में वोटिंग होती है तो इमरान का जाना तय है।
पाकिस्तान के गठन के बाद से ही सेना ही सुप्रीम पॉवर है। पाकिस्तान की पार्टियों और सेना के बीच इस बात पर 'मौन सहमति' है कि कौन पाकिस्तान का प्रधानमंत्री होगा और सेना का समर्थन होना किसी भी सियासी पार्टी के लिए जरूरी मजबूरी है।
पाकिस्तानी सेना कभी भी नहीं चाहेगी कि भारत से संबंध शांतिपूर्ण रहें। ऐसे में इमरान खान का यह बयान चौंकाने वाला है। भारत के कुछ मीडिया संस्थानों के अनुसार इमरान ने भारत की 'अचानक प्रशंसा' इसलिए की है क्योंकि फिलहाल इस समय उनके और पाकिस्तानी सेना के बीच संबंध अच्छे नहीं है और सेना उन्हें सत्ता से हटा सकती है।
भारत के एक न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ ने 25 मार्च को अपनी वेबसाइट पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमे कहा गया कि इमरान खान साफतौर पर पाकिस्तानी सेना को निशाना बना रहे हैं, जो उन्हें संकट की इस घड़ी में डंप करने के मूड में है।
अब देखना यह है कि क्या भारत की तारीफ इमरान की कुर्सी बचाएगी या इसका बड़ा नुकसान उन्हें उठाना पड़ेगा। इस बीच, इमरान के लिए थोड़ी राहत की बात यह है कि उन्हें चीन का समर्थन मिल गया है।