वॉशिंगटन। कनाडा के भारतवंशी सांसद ने कनाडा के लोगों और सरकार से हिंदुओं के लिए एक प्राचीन और शुभ प्रतीक स्वस्तिक तथा 20वीं सदी के नाजी प्रतीक हकेनक्रेज के बीच फर्क को पहचानने का आग्रह करते हुए कहा है कि दोनों में कोई समानता नहीं है।
इस कदम का अमेरिका के हिंदुओं ने स्वागत किया है, जिन्होंने कनाडा में कुछ निहित स्वार्थों के चलते इसे हिंदुओं के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देने के अवसर के रूप में इस्तेमाल करने के हालिया प्रयासों की निंदा की थी।
कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने कहा कि विभिन्न धार्मिक आस्थाओं वाले दस लाख से अधिक कनाडाई और विशेष रूप से कनाडा के हिंदू के रूप में मैं इस सदन के सदस्यों और देश के सभी लोगों से हिंदुओं के पवित्र धार्मिक प्रतीक स्वास्तिक और नफरत के नाजी प्रतीक के बीच अंतर करने का आह्वान करता हूं, जिसे जर्मन में हकेनक्रेज या अंग्रेजी में हुक्ड क्रॉस कहा जाता है।
पिछले हफ्ते कनाडा की संसद में आर्य ने कहा कि भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत में स्वस्तिक का अर्थ है, वह जो सौभाग्य और कल्याण लाता है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के इस प्राचीन और अत्यंत शुभ प्रतीक का इस्तेमाल आज भी हमारे हिंदू मंदिरों में, हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में, हमारे घरों के प्रवेश द्वारों पर तथा हमारे दैनिक जीवन में किया जाता है। कृपया नफरत के नाजी प्रतीक को स्वस्तिक कहना बंद करें।
आर्य ने कहा, हम नफरत के नाजी प्रतीक हकेनक्रेज या हुक्ड क्रॉस पर प्रतिबंध का समर्थन करते हैं। लेकिन इसे स्वास्तिक कहना कनाडा के हिंदुओं के धार्मिक अधिकार और दैनिक जीवन में हमारे पवित्र प्रतीक स्वस्तिक का उपयोग करने की स्वतंत्रता से वंचित करना है।
उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं के गठबंधन (कोहना) ने एक बयान में कनाडा में स्वस्तिक को घृणा के प्रतीक के रूप में घोषित करने के प्रयासों के बारे में अपनी चिंताओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए आर्य की टिप्पणी का स्वागत किया।
हाल के दिनों में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारतीय मूल के नेता जगमीत सिंह ने स्वास्तिक के बारे में आपत्तिजनक बयान दिए हैं।