लंदन। भारतीय अधिकारियों की पकड़ में आने से बचने की कोशिश में लगे भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की समस्या बढ़ गई है। ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने माल्या के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए उन्हें भारत को सौंपने के ब्रिटेन सरकार के आदेश के खिलाफ अपील की मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
माल्या पर भारत में 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और मनीलांड्रिंग के आरोप हैं। ब्रिटेन के गृहमंत्री साजिद जावेद ने वेस्टमिन्स्टर मजिस्ट्रेट अदालत के फरवरी में माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश पर हस्ताक्षर के बाद 63 वर्षीय कारोबारी ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में आवेदन किया था।
ब्रिटेन की न्यायपालिका के एक प्रवक्ता ने कहा, न्यायाधीश विलियम डेविस ने पांच अप्रैल को अपील की मंजूरी के लिए आवेदन को अस्वीकार कर दिया। प्रवक्ता ने कहा, अपीलकर्ता (माल्या) के पास मौखिक रूप से विचार के लिए आग्रह करने को लेकर पांच कार्य दिवस हैं।
प्रवक्ता ने कहा, अगर वह फिर से आवेदन देते हैं, उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा और सुनवाई के दौरान उस पर निर्णय किया जाएगा। आवेदन एकल पीठ के समक्ष दिया गया था। न्यायाधीश को दिए गए दस्तावेज के आधार पर निर्णय करना था।
न्यायाधीश डेविस ने दस्तावेज पर गौर करने के बाद शराब व्यवसायी के आवेदन को खारिज कर दिया। अब माल्या के पास नए सिरे से आवेदन देने का विकल्प है। इस नवीनीकृत प्रक्रिया में अदालत मौखिक सुनवाई करेगी। इसमें माल्या के अधिवक्ताओं की टीम तथा भारत सरकार की तरफ से क्राउन प्रोसक्यूशन सर्विस (सीपीएस) मामले में पूर्ण सुनवाई के पक्ष और विपक्ष में अपनी-अपनी दलीलें रखेंगे। माल्या मार्च 2016 से लंदन में हैं और प्रत्यर्पण वारंट को लेकर फिलहाल जमानत पर हैं।