वॉशिंगटन। अमेरिका ने F22 लड़ाकू विमान से चीन के स्पाय बलून को मार गिराया। चीन ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई। चीन का कहना है कि अमेरिका द्वारा गुब्बारे को मार गिराना अंतरराष्ट्रीय अभ्यास का गंभीर उल्लंघन है। उसने अमेरिका को इसका नतीजा भगुतने की धमकी भी दी है।
अमेरिका ने दावा किया था कि यह एक स्पाय बलून है जबकि चीन ने इसे जासूसी गुब्बारा मानने से इनकार कर दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जासूसी गुब्बारे को मार गिराने की मंजूरी दी थी और सैन्य अधिकारियों ने इसका समर्थन किया था।
अमेरिका के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के अनुसार, राष्ट्रपति जो बाइडन के निर्देश पर अमेरिकी सेना ने स्थानीय समयानुसार दो बजकर 39 मिनट पर अटलांटिक महासागर में चीन के निगरानी गुब्बारे को मार गिराया। जिस स्थान पर गुब्बारे को गिराया गया, वह दक्षिण कैरोलाइना में अमेरिकी तट से छह मील दूर है।
वर्जीनिया में लांगले वायुसेना अड्डे से उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमान F-22 ने एक मिसाइल छोड़ी, जिससे गुब्बारा अमेरिका के वायु क्षेत्र के भीतर महासागर में गिरा।
अमेरिका में भी बलून मामले में राजनीति गरमा गई है। विपक्ष के नेता जेम्स कॉपर ने सवाल उठाया कि यह बलून इतना अंदर आया कैसे? क्या यह वुहान से उड़कर यहां आया था।
अमेरिका ने पहले कहा था कि वह इस बलून को नहीं मारेगा। वहीं चीन ने इसे जासूसी गुब्बारा मानने से पूरी तरह इनकार कर दिया था। चीन ने कह था कि गुब्बारा एक मौसम रिसर्च उपग्रह है, जो दिशा भटक गया है और उसका (बीजिंग का) किसी भी संप्रभु देश के क्षेत्राधिकार तथा वायु क्षेत्र का उल्लंघन करने का कोई इरादा नहीं है।
पेंटागन ने दावा किया था कि बड़ी संख्या में पेलोड से लैस यह गुब्बारा 3 बसों जितना बड़ा था। यह गुब्बारा 60000 फीट की ऊंचाई पर है और अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि इससे कोई खतरा नहीं है।
अमेरिकी विदेश विभाग को जैसे ही गुब्बारे की घटना के बारे में जानकारी हुई। उन्होंने शुक्रवार काे विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की चीन की यात्रा को रद्द कर दिया। उसी दिन पेंटागन ने बताया कि उसने एक और चीनी निगरानी गुब्बारे का पता लगाया जोकि एक लैटिन अमेरिका को पार कर रहा है।