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कामबंदी से अमेरिका ठप, भारत पर भी हो सकता है बड़ा असर, कैसे निकलेगा इसका हल

हमें फॉलो करें कामबंदी से अमेरिका ठप, भारत पर भी हो सकता है बड़ा असर, कैसे निकलेगा इसका हल
वॉशिंगटन , मंगलवार, 15 जनवरी 2019 (15:53 IST)
वॉशिंगटन। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विरोधी डेमोक्रेट्‍स के बीच बढ़ते तनाव का असर अमेरिका पर भी साफ देखा जा रहा है। इस ऐतिहासिक शटडाउन के चलते करीब 8 लाख कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं। वेतन नहीं मिलने के कारण वे और ज्यादा परेशान है। अमेरिका के इस शटडाउन का असर व्यापक संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इसका असर भारत समेत अन्य देशों पर भी हो सकता है। 
 
अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा शटडाउन : बंद से संघीय कार्यालयों का एक चौथाई हिस्सा प्रभावित हुआ है तथा आठ लाख फेडरल कर्मचारियों को 22 दिसंबर से वेतन भी नहीं मिला है। शटडाउन से सरकारी खजाने को भी काफी नुकसान हो रहा है। इसका कारण है एक दीवार जिसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड को बजट चाहिए। इसे अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा शटडाउन कहा जा रहा है।

क्यों होते हैं ये शटडाउन? : कांग्रेस के दोनों सदनों यानि प्रतिनिधि सभा और सेनेट को हर साल संघीय विभागों को चलाने के लिए 12 बिल, जिन्हें एप्रोप्रिएशन बिल कहते हैं, पास करने होते हैं और यदि कांग्रेस ऐसा नहीं कर पाती तो उन्हें उसके लिए एक निश्चित अवधि के अंदर एक अंतरिम बजट पास करना होता है। कांग्रेस जिन विभागों चलाने के लिए बजट नहीं पास कर पाती, उनके कर्मचारियों को घर बैठना पड़ता है। 1976 से अब तक 22 बार अमेरिका में इस तरह के शटडाउन हो चुके हैं।
 
जानिए क्या है पूरा मामला : अमेरिका-मैक्सिको सीमा 1954 मील लंबी है, जो कि प्रशांत महासागर से गल्फ ऑफ मैक्सिको तक फैली है। इसमें 1200 मील टेक्सास में है। अभी सीमा पर नेशनल गार्ड तैनात हैं, जो यहां निगरानी करते हैं। इस दीवार के बनने की लागत आठ अरब डॉलर से 67 अरब डॉलर तक मानी जा रही है। इस दीवार का मकसद अवैध प्रवासियों और नशीले पदार्थों को अमेरिका में आने से रोकना है।
 
मैक्सिको से लगने वाली सीमा पर दीवार बनाने को लेकर पूर्व में ट्रंप ने कहा था कि इस दीवार का खर्च खुद मैक्सिको उठाएगा, लेकिन मैक्सिको ने खर्च उठाने से इनकार कर दिया। ट्रंप ने कहा कि लगता है डेमोक्रेट्स कोई समझौता करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कामबंदी कल खत्म हो सकती है या बहुत लंबे समय तक चल सकती है। अब ये डेमोक्रेट्स पर निर्भर करता है। अब हालांकि डेमोक्रेट्स को मनाने के लिए ट्रंप भी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वे सीमेंट की जगह स्टील की दीवार बना सकते हैं।
 
अमेरिकी कानून में यह प्रावधान है कि राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रपति को सैन्य परियोजनाओं का काम सीधे तौर पर करने का अधिकार हासिल है, लेकिन ये रकम रक्षा मंत्रालय के बजट से आती है, जिसे संसद की मंज़ूरी मिली होती है।
 
क्यों दीवार का विरोध कर रहे है डेमोक्रेट : डेमोक्रेट दीवार के लिए फंड देने के समर्थन में नहीं हैं, वे इस दीवार को अनैतिक बता रहे हैं जिसके कारण ट्रंप की योजना फिलहाल अधर में लटकी मालूम होती है। यह दीवार बनाना ट्रंप के अहम चुनावी वादों में है। अब अमेरिका मैक्सिको के साथ लगी अपनी सीमा पर क्रांकीट की दीवार बनाने की बजाय स्टील का एक अवरोधक बनाने पर विचार कर रहा है। ट्रंप ने दिसंबर में एक ट्वीट के जरिए इसकी तस्वीर भी साझा की थी।
 
डेमोक्रेट्स के साथ चर्चा नहीं करना चाहते ट्रंप, बताया था समय की बर्बादी : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिनों पहले आंशिक शटडाउन को लेकर डेमोक्रेट के साथ वार्ता को पूरी तरह समय की बर्बादी करार देते हुए बैठक के बीच से अचानक बाहर निकल आए थे। इस विवादास्पद चर्चा के बीच पेलोसी और शूमर ने दीवार के बारे में जुनूनी होने के लिए ट्रंप की आलोचना की। 
 
ट्रंप ने निचले सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी और सीनेट के अल्पसंख्यक नेता चुक शूमर के साथ बहस के बाद ट्वीट किया, मैंने पूछा कि 30 दिनों में क्या होने जा रहा है अगर मैं जल्दी से चीजों को खोल दूं, तो क्या आप बॉर्डर सुरक्षा को मंजूरी देने जा रहे हैं, जिसमें एक दीवार या स्टील की दीवार शामिल है?
 
नहीं लगेगा राष्‍ट्रीय आपातकाल : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह सीमा सुरक्षा के मुद्दे पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित नहीं करने जा रहे। उन्होंने माना कि उनके और विपक्षी डेमोक्रैट्स के बीच सरकार के मौजूदा कामबंदी पर समझौता नहीं हो पाया है। ट्रंप ने कहा कि मैं राष्ट्रीय आपातकाल घोषित नहीं करने जा रहा। यह इतना आसान है कि आपको यह नहीं करना चाहिए।

अमेरिका पर क्या होगा शटडाउन पर असर : इस शटडाउन का असर कई जरूरी सेवाओं पर असर पड़ने के साथ अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि शटडाउन का अमेरिकी अर्थव्यस्था पर काफी बुरा असर पड़ सकता है। संघीय एजेंसियों और कार्यक्रमों के लिए पैसे की कमी होने पर एंटीडेफिशिएंसी एक्ट के मुताबिक संघीय एजेंसियों को अपना कामकाज रोकना पड़ता है। प्रशासन बजट न होने के कारण कर्मचारियों की छुट्टी कर देता है। इस दौरान उन्हें वेतन भी नहीं दिया जाता है।
 
भारत पर क्या होगा असर : अगर यह मामला जल्द नहीं सुलझा तो इसका असर व्यापार, निर्यात, शेयर बाजार, वीजा, पासपोर्ट, वैज्ञानिक आंकड़ों और शोध पर नजर आने लगेगा और भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा। खासतौर से हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर सामनों की जांच में रूकावट आने से भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा। भारत एच1बी वीजा का इस्तेमाल करनेवाला सबसे बड़ा देश है और उसमें आई रूकावट से वहां की कंपनियों पर असर पड़ेगा।

इससे भारत में रह रहे लोग भी अमेरिका काम करने नहीं जा पाएंगे और वहां काम कर रही भारतीय कंपनियों पर इसका नकारात्मक असर होगा। कंपनियों को इन कर्मचारियों को भारत में ही खपाना होगा। इससे यहां इन कंपनियों में काम कर रहे लोगों पर दबाव बढ़ेगा। इस स्थिति में कई भारतीय कंपनियां कर्मचारियों की संख्या में कमी कर सकती है। 

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