संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लामिक आतंकवाद के नाम पर कश्मीर घाटी में क्रूरता का भारत पर आरोप लगाया और कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश करते हुए दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की धमकी दी। इस पर अमेरिका ने भी पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए करारा जवाब दिया है। अमेरिका का कहना है कि पाकिस्तान कश्मीर पर तो शोर मचा रहा है, लेकिन चीनी उइगरों पर क्यों चुप्पी साधे बैठा है?
अमेरिका ने पाकिस्तान से पूछा है कि आप सिर्फ कश्मीर में मानवाधिकार के मामलों को लेकर चिंतित हैं लेकिन पूरे चीन में मुसलमान लगातार जिस भयावह हालात में हैं, उन पर आप कभी बात क्यों नहीं करते? अमेरिका का कहना है आपको सिर्फ कश्मीर के मुसलमानों की चिंता है, चीन के मुसलमानों की चिंता क्यों नहीं है?
मामला मुंबई हमले का हो या पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का, चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की मदद की है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराब है और चीन इससे उबरने में भी पाकिस्तान की आर्थिक मदद कर रहा है।
अमेरिका की एक्टिंग असिस्टेंट सेक्रेटरी (साउथ एंड सेंट्रल एशिया) एलिस वेल्स ने गुरुवार को यह सवाल खड़े किए कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन के बारे में क्यों नहीं बोल रहे, जहां पर 10 लाख उइगर और अन्य तुर्की भाषा बोलने वाले मुसलमानों को नजरबंद रखा गया है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को चीन के मुसलमानों की ज्यादा चिंता करनी चाहिए क्योंकि वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन ज्यादा है। वेल्स ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान ट्रंप प्रशासन ने पूरे चीन में मुसलमानों के साथ हो रही ज्यादती और भयानक हालात के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।
हालांकि चीन में मुसलमानों पर ही हो रहे अत्याचार पर चुप्पी से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का कश्मीर पर प्रोपेगैंडा साफ हो जाता है। जब भी चीन में मुसलमानों के हालात पर इमरान खान से सवाल होते हैं तो वह यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि उनके अपने देश में काफी समस्याएं हैं, जिन पर उन्हें ध्यान देना है।