न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अब तक पाकिस्तान आधारित या पाकिस्तान से संबंधित करीब 150 आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों के नाम काली सूची में डाले जा चुके हैं, जिसमें नवीनतम नाम लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख अब्दुल रहमान मक्की का है, जिसे सुरक्षा परिषद की अलकायदा प्रतिबंध समिति ने आतंकवादी घोषित किया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1267 आईएसआईएल (दाएश) और अलकायदा प्रतिबंध समिति ने सोमवार को 68 वर्षीय मक्की को घोषित आतंकवादियों की सूची में शामिल किया। इस सूची में शामिल लोगों की संपत्ति जब्त करने, उन पर यात्रा और हथियार संबंधी प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। इसके लिए भारत और उसके सहयोगी देश वर्षों से प्रयास कर रहे थे।
अलकायदा प्रतिबंध समिति की सूची के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र द्वारा अब तक काली सूची में डाले गए लगभग 150 आतंकवादी संगठन और व्यक्ति या तो पाकिस्तान आधारित हैं, या देश में उनके संबंध हैं या वे पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा क्षेत्रों से संचालित होते हैं।
काली सूची में पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के नेता और मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद, लश्कर के शीर्ष आतंकी कमांडर और 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के प्रमुख साजिशकर्ता जकी-उर रहमान लखवी, पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के संस्थापक मसूद अजहर और भगोड़े अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम भी शामिल है।
जमात उद दावा/लश्कर-ए-तैयबा के राजनीतिक मामलों के प्रमुख और लश्कर सरगना हाफिज मुहम्मद सईद के रिश्तेदार मक्की को वैश्विक आतंकवादियों की सूची में शामिल करने का प्रयास पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन द्वारा 16 जून 2022 को भारत और अमेरिका के एक संयुक्त प्रस्ताव पर रोक लगाए जाने के सात महीने बाद सफल हुआ है, क्योंकि इस बार बीजिंग ने अड़ंगा नहीं लगाया।
किसी व्यक्ति या संगठन को 1267 प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने का फैसला सर्वसम्मति से लिया जाता है। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने अलकायदा प्रतिबंध समिति बनाई है, जिसमें बतौर स्थायी सदस्य वीटो का अधिकार रखने वाला चीन एकमात्र देश था, जिसने मक्की को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को बाधित किया था।
पिछले साल जून में भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव पर चीन द्वारा रोक लगाए जाने के बाद 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत मक्की को सूचीबद्ध करने पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई थी।
समिति के दिशानिर्देश के मुताबिक, कोई सदस्य निर्णय पर रोक लगाकर किसी प्रस्ताव पर विचार करने के लिए अधिक समय का अनुरोध कर सकता है। किसी मामले पर रोक की वैधता की अवधि में उस मामले पर निर्णय लंबित माना जाता है।