इस्लामाबाद। पाकिस्तान सरकार ने सिंध प्रांत के घोटकी जिले में दो नाबालिग हिन्दू लड़कियों के धर्मांतरण और जबरन विवाह के मामले में संज्ञान लिया है और इसकी जांच के लिए मानवाधिकार मंत्रालय को निर्देश दिए है।
सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने शनिवार बताया कि घोटकी में दो नाबालिग हिन्दू लड़कियों से जबरन विवाह और धर्म परिवर्तन के मामले पर सरकार ने संज्ञान लिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि मानवाधिकार मंत्रालय से जांच के लिए कहा गया है। जांच के बाद उपलब्ध जानकारी को साझा किया जाएगा।
पिछले वर्ष चुनावों से पहले इमरान खान ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने का वादा किया था। उन्होंने घोषणा की थी कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आती है तो मुस्लिमों के साथ हिंदू लड़कियों की जबरन शादी को रोकने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएंगे।
पाकिस्तान में ज्यादातर हिंदू परिवार सिंध में रहते हैं और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उमरकोट जिले में हर महीने लगभग 25 जबरन शादियां होती हैं।
लड़कियों के परिजनों ने जबरन शादी के लिए अपहरण की प्राथमिकी दर्ज कराई है। ‘सिंध चाइल्ड मैरिज रेस्ट्रेंट एक्ट’ के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की शादी नहीं की जा सकती है और इस मामले में दोनों लड़कियों की उम्र 14 और 16 वर्ष है।
उल्लेखनीय है कि होली की शाम को घोटकी जिले से दो हिंदू लड़कियों का अपहरण करके जबरन उनका धर्मांतरण कर मुस्लिम बना दिया गया। इसके बाद उनकी शादी भी करा दी गई। इस घटना की वजह से हिंदू समुदाय ने बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में लड़कियों के पिता और भाई बता रहे है कि दोनों बहनों का अपहरण कर लिया गया था और उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं वकील जिब्रान नासिर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया जिसमें बताया गया कि दो बहनों में एक की उम्र 14 वर्ष और दूसरी की 16 वर्ष की है।
वीडियो में एक मौलवी को लड़कियों और दो पुरुषों के बगल में देखा जा सकता है, जिनसे उनकी शादी हुई है। वीडियो में मौलवी कह रहा है कि लड़कियां इस्लाम से प्रेरित थीं। (वार्ता)