वाशिंगटन। सात मुस्लिम बहुल देशों के प्रवासियों के अमेरिका में आने पर रोक लगाने संबंधी डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका में पाकिस्तान के लोगों पर आने की पाबंदी भी लग सकती है। वाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टॉफ रींस प्रीबस ने इस ओर इशारा किया है।
वाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टॉफ रींस प्रीबस ने सीबीएस न्यूज से कहा, 'हमने इन सात देशों को चुना तो इसकी वजह यह है कि कांग्रेस और ओबामा प्रशासन दोनों ने इनकी ऐसे देशों के तौर पर शिनाख्त कर रखी थी कि इनके यहां खतरनाक आतंकवाद को अंजाम दिया जा रहा है।
प्रीबस ने आगे कहा, 'अब, आप कुछ अन्य ऐसे देशों की ओर भी इशारा कर सकते हैं जहां समान तरह की समस्याएं हैं, जैसे कि पाकिस्तान और कुछ अन्य देश। शायद हमें इसे और आगे ले जाने की जरूरत है। परंतु फिलहाल के लिए तात्कालिक कदम यह है कि इन देशों में जाने और इनसे आने वाले लोगों की कठोरतम जांच-पड़ताल की जाएगी।'
फिलहाल शासकीय आदेश के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से आने वालों की सघन जांच होगी। प्रीबस ने कहा कि इस शासकीय आदेश पर बहुत सोच विचार कर दस्तखत किए गए हैं। उन्होंने कहा, 'हम दुनिया में इसका प्रचार नहीं करने जा रहे कि हमारे देश से इन सात देशों से आने या वहां जाने वालों पर हम रोक लगाने जा रहे हैं या उनके खिलाफ आगे भी कड़ी जांच की जाएगी।'
दुनिया के सात मुस्लिम बहुल देशों के प्रवासियों पर प्रतिबंध संबंधी डोनाल्ड ट्रंप के शासकीय आदेश का बचाव करते हुए व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति वही कर रहे हैं जिसका उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने एबीसी न्यूज से कहा, 'यह कुछ भी नया नहीं है. राष्ट्रपति ट्रंप ने पूरे चुनाव प्रचार और सत्ता हस्तांतरण के दौरान बात की।' स्पाइसर ने कहा कि जिन देशों के लोगों के अमेरिका में आने पर रोक लगाई गई है उनको बराक ओबामा के प्रशासन के दौरान भी 'विशेष चिंता वाले देशों' की सूची में रखा गया था।
स्पाइसर ने कहा कि जिन देशों के लोगों के अमेरिका में आने पर रोक लगाई गई है उनको बराक ओबामा के प्रशासन के दौरान भी 'विशेष चिंता वाले देशों' की सूची में रखा गया था। गौरतलब है कि ट्रंप के शासकीय आदेश के अनुसार ईरान, इराक, लीबिया, सूडान, यमन, सीरिया और सोमालिया के नागरिकों के अमेरिका में आने पर कम से कम 90 दिनों तक प्रतिबंध होगा।
गौरतलब है कि अमेरिका में मुस्लिम देशों से लोगों के आने पर अस्थायी पाबंदी लगाने के ट्रंप प्रशासन के आदेश पर वहां की एक अदालत ने आंशिक रोक लगा दी है। अमेरिका में फंसे शरणार्थियों के लिए यह फैसला एक बड़ी राहत है। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले की चौतरफा आलोचना हो रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस फैसले का विरोध तो हो ही रहा है, अमेरिका में लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने लगे हैं।
दूसरी ओर भारतीय मूल की अमेरिकी कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल ने कहा है कि वह सात मुस्लिम बहुल देशों के प्रवासियों के अमेरिका में आने पर रोक लगाने संबंधी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'असंवैधानिक' शासकीय आदेश के खिलाफ लडेंगी।
प्रतिनिधि सभा में सियेटल से डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य प्रमिला का बयान ऐसे वक्त आया है जब ट्रंप के शासकीय आदेश के परिणामस्वरूप सियेटल हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क एवं सीमा संरक्षण विभाग द्वारा दो प्रवासियों को पकड़ लिया गया, हालांकि बाद में उनको छोड़ा दिया गया।
प्रमिला ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप के निर्मम शासकीय आदेशों ने हमारे देश को संकट में धकेल दिया है और देश भर के मुसलमानों के दिल में दहशत पैदा कर दी है। उन्होंने एक बयान में कहा, 'हवाई अड्डे पर पकड़े गए दो प्रवासियों का रिहा होना राष्ट्रपति की आमानवीय नीतियों के खिलाफ हमारी लड़ाई की छोटी जीत है।'