मंगल पर हो सकता है जीवन, लेकिन ढूंढना आसान नहीं...

Webdunia
सोमवार, 6 मार्च 2023 (07:52 IST)
रोबोटिक रोवर्स वर्तमान में मंगल की सतह की खोज कर रहे हैं। रोवर के मिशन के एक भाग के तहत जीवन के संकेतों का पता लगाने के लिए ग्रह का सर्वेक्षण करना है। हो सकता है कि खोजने के लिए वहां कुछ न हो- लेकिन तब क्या जब वहां कुछ हो, और रोवर्स इसे देख ही न पाएं? ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित शोध के मुताबिक रोवर्स के मौजूदा उपकरण वास्तव में जीवन के प्रमाण खोजने के कार्य के लिए उपयुक्त नहीं हैं। सूक्ष्म जीव विज्ञानी के रूप में जहां यह लगभग असंभव लगता है, लेकिन उससे मैं भली-भांति परिचित हूं।
 
एस्ट्रोबायोलॉजी में, हम पृथ्वी पर उन पर्यावरणीय या भौतिक विशेषताओं वाले स्थलों में जीवन की विविधता का अध्ययन करते हैं जो पहले से ही मंगल ग्रह पर वर्णित क्षेत्रों से मिलते-जुलते हैं। हम इन स्थलीय वातावरण को 'मार्स एनालॉग' साइट कहते हैं।
 
खोज की सीमाएं : मैड्रिड में सेंटर फॉर एस्ट्रोबायोलॉजी में अरमांडो अज़ुआ-बस्टोस के नेतृत्व में नए अनुसंधान ने वर्तमान में नासा के क्यूरियोसिटी और पर्सिवरेंस रोवर्स द्वारा उपयोग किए जाने वाले आधुनिक उपकरणों का और साथ ही भविष्य के विश्लेषण के लिए नियोजित कुछ नए लैब उपकरणों का परीक्षण किया।
 
अज़ुआ-बस्टोस और उनके सहयोगियों ने पाया कि रोवर्स के टेस्टबेड उपकरणों- क्षेत्र में नमूनों का विश्लेषण करने संबंधी उपकरणों - में जीवन के संकेतों का पता लगाने की सीमित क्षमता थी जिसकी हम लाल ग्रह पर खोज करने की उम्मीद कर सकते हैं। वे नमूनों के खनिज घटकों का पता लगाने में सक्षम थे, लेकिन हमेशा कार्बनिक अणुओं का पता लगाने में सक्षम नहीं थे।
 
हमारे मंगल अनुरूप स्थल अंटार्कटिका में सूखी घाटियों और विंडमिल द्वीपों के ठंडे और अति-शुष्क रेगिस्तान हैं। इन दोनों जगहों पर अत्यधिक दबाव के बावजूद जीवन मौजूद है। कठोर परिस्थितियों और मौजूद सूक्ष्मजीव जीवन की कमी को देखते हुए, जीवन का प्रमाण ढूंढना चुनौतीपूर्ण है।
 
सबसे पहले, हमें एनालॉग 'चरम' वातावरण में मौजूदा (और जिनका पता लगाया जा रहा है) जीवन की जैविक और भौतिक सीमाओं को परिभाषित करना चाहिए। फिर हमें जीवन के लिए बायो सिग्नेचर की पहचान करने के लिए उपकरण विकसित करने की जरूरत है। इनमें कार्बनिक अणु जैसे लिपिड, न्यूक्लिक एसिड और प्रोटीन शामिल हैं। अंत में, हम यह निर्धारित करते हैं कि पृथ्वी और मंगल ग्रह पर उन बायोसिग्नेचर का पता लगाने के लिए कितना संवेदनशील उपकरण होना चाहिए।
 
गहरे माइक्रोबायोम की खोज : सूक्ष्म जीव विज्ञान के मेरे क्षेत्र में, माइक्रोबियल डार्क मैटर तब होता है जब एक नमूने में अधिकतर सूक्ष्म जीवों को अलग और/या विशेषता नहीं दी जाती है। उन्हें पहचानने के लिए, हमें अगली पीढ़ी के अनुक्रमण को परिभाषित करने की आवश्यकता होती है। अज़ुआ-बस्टोस की टीम एक कदम आगे बढ़कर एक डार्क माइक्रोबायोम का प्रस्ताव करती है, जिसमें संभावित अवशेष, पृथ्वी की विलुप्त प्रजातियां शामिल हैं।
 
अज़ुआ-बस्टोस की टीम ने पाया कि आधुनिक प्रयोगशाला तकनीक अटाकामा रेगिस्तान के मंगल जैसे अति-शुष्क मिट्टी के नमूनों में एक गहरे माइक्रोबायोम का पता लगा सकती हैं। हालांकि, रोवर्स के मौजूदा उपकरण मंगल ग्रह पर इसका पता लगाने में सक्षम नहीं होंगे।
 
अलग ग्रह, अलग नियम : अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज भी हमारी इस समझ पर निर्भर करती है कि जीवन को अस्तित्व में रखने के लिए क्या आवश्यक होगा, जिसमें सबसे सरल साधन ऊर्जा, कार्बन और तरल जल है।
 
पृथ्वी पर, अधिकतर जीव सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए प्रकाश संश्लेषण का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया के लिए पानी की आवश्यकता होती है, जो अंटार्कटिका और अटाकामा रेगिस्तान जैसे शुष्क रेगिस्तानी वातावरण में और, संभवत: मंगल पर लगभग पूरी तरह से अनुपलब्ध है। हमें लगता है कि जिस प्रक्रिया को हमने वायुमंडलीय रसायन संश्लेषण करार दिया है, वह इस अंतर को भर सकती है।
 
वर्ष 2026 के लिए नियोजित ‘आइसब्रेकर लाइफ मिशन’ सहित मंगल ग्रह के भविष्य के अभियानों का लक्ष्य जीवन के साक्ष्य की खोज करना है। (द कन्वर्शेसन)
 

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