काबुल। अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बीच तालिबान ने कंधार और हेरात पर कब्जा कर लिया। इसे मिलाकर तालिबान अब तक 34 प्रांतीय राजधानियों में से 12 पर कब्जा कर चुका है। कंधार और हेरात पर कब्जा तालिबान के लिए अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी है।
तालिबान के एक प्रवक्ता ने आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त अकाउंट से ट्वीट किया कि कंधार पूरी तरह से जीत लिया गया है। मुजाहिदीन (तालिबान) शहर के शहीद चौक पर पहुंच गए हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक सरकारी इमारत से भीषण गोलीबारी की आवाजें आयी जबकि तालिबान के कब्जे में आने के बाद से शहर के बाकी हिस्से में शांति है। वहीं, गजनी पर तालिबान के कब्जे के साथ अफगानिस्तान की राजधानी को दक्षिणी प्रांतों से जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण राजमार्ग कट गया है।
बिडेन प्रशासन ने भी भेजे 3000 नए सैनिक : अफगानिस्तान में अपना युद्ध समाप्त करने की अमेरिका की योजना से महज कुछ हफ्तों पहले बाइडन प्रशासन भी 3,000 नये सैनिकों को काबुल हवाईअड्डे भेज रहा है ताकि अमेरिकी दूतावास को आंशिक तौर पर खाली कराने में मदद मिल सके।
ब्रिटेन भेजेगा 600 सैनिक : ब्रिटेन अपने नागरिकों और पूर्व अफगान कर्मचारियों को निकालने में मदद के लिए करीब 600 सैनिक अफगानिस्तान में भेजेगा। रक्षा मंत्री बेन वालेस ने कहा कि मैंने काबुल में राजनयिक उपस्थिति का समर्थन करने के लिए अतिरिक्त सैन्य कर्मियों की तैनाती को अधिकृत किया है। अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती वहां बढ़ती हिंसा और तेजी से बिगड़ते सुरक्षा माहौल के मद्देनजर की गई है।
अमेरिका और नाटो के सैनिक करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान आये थे और उन्होंने तालिबान सरकार को अपदस्थ किया था। अब अमेरिकी बलों की पूरी तरह वापसी से कुछ सप्ताह पहले तालिबान ने गतिविधियां बढ़ा दी हैं।
फिलहाल प्रत्यक्ष रूप से काबुल पर कोई खतरा नहीं है लेकिन तालिबान की देश के करीब दो तिहाई हिस्से पर पकड़ मजबूत होती दिख रही है। हजारों लोग घर छोड़कर जा चुके हैं क्योंकि उन्हें डर है कि एक बार फिर तालिबान का दमनकारी शासन आ सकता है।
अमेरिकी सेना का ताजा खुफिया आकलन बताता है कि काबुल 30 दिन के अंदर चरमपंथियों के दबाव में आ सकता है और मौजूदा स्थिति बनी रही तो कुछ ही महीनों में पूरे देश पर नियंत्रण हासिल कर सकता है।
संभवत: सरकार राजधानी और कुछ अन्य शहरों को बचाने के लिए अपने कदम वापस लेने पर मजबूर हो जाए क्योंकि लड़ाई के कारण विस्थापित हजारों लोग काबुल भाग आए हैं और खुले स्थानों और उद्यानों में रह रहे हैं।
दक्षिणी अफगानिस्तान के लश्कर गाह में भी भीषण जंग चल रही है। अगर तालिबान का हमला जारी रहा तो अफगानिस्तान सरकार को आने वाले दिनों में राजधानी और कुछ अन्य शहरों की रक्षा के लिए पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।