काठमांडू। नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक रिट याचिका पर प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि देश में एक दशक तक चले माओवादी उग्रवाद के दौरान 5 हजार लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रचंड के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का अनुरोध किया गया है।
उच्चतम न्यायालय के सूत्रों के अनुसार अधिवक्ता ज्ञानेंद्र आरण और माओवादी उग्रवाद के अन्य पीड़ितों ने मंगलवार को यह याचिका दायर की थी। सूत्रों ने कहा कि कल्याण बुद्धथोकी नामक व्यक्ति की एक और रिट याचिका पंजीकरण की प्रक्रिया में है।
शीर्ष अदालत ने मौजूदा संदर्भ में आदेश पारित करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं होने का हवाला देते हुए कहा कि अंतरिम आदेश जारी करना आवश्यक नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि अदालत 68 वर्षीय प्रधानमंत्री प्रचंड को गिरफ्तार करने के लिए अंतरिम आदेश जारी करे।
उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी, 2020 को काठमांडू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, प्रचंड ने कथित तौर पर कहा था कि एक दशक तक विद्रोह का नेतृत्व करने वाली माओइस्ट पार्टी के नेता के रूप में वह 5000 लोगों की मौत की जिम्मेदारी लेते हैं और देश को शेष मौतों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
अनुमान है कि एक दशक तक चले उग्रवाद के दौरान लगभग 17000 लोगों की मौत हुई। प्रचंड ने 'जनयुद्ध' के नाम पर एक दशक तक सशस्त्र संघर्ष चलाया था। वर्ष 1996 की 13 फरवरी को शुरू हुआ विद्रोह 21 नवंबर, 2006 को तत्कालीन सरकार के साथ एक व्यापक शांति समझौते पर पहुंचने के बाद आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया था।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)