Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

‘श्रीलंका’ में ऐसे भभकी ‘बर्बादी की आग’, जानिए 5 बड़े कारण

हमें फॉलो करें ‘श्रीलंका’ में ऐसे भभकी ‘बर्बादी की आग’, जानिए 5 बड़े कारण
webdunia

नवीन रांगियाल

जहां-जहां चीन की नजर पड़ी वो देश बर्बाद हो गया। कुछ यही कहानी अब श्रीलंका जैसे देश ही है। चीन से कर्ज लेना कितना भारी पड़ सकता है, यह श्रीलंका को शायद अब समझ आ रहा होगा।

पहले से ही कोरोना महामारी से टूट चुके श्रीलंका में अब महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। खाने-पीने की चीजें भयानक तौर पर महंगी हो गई। सरकारी खजाना तेजी से खाली हो गया है। भुखमरी, महंगाई, कालाबाजारी और वस्‍तुओं की किल्‍लत की वजह से श्रीलंका अब दिवालिया होने की कगार पर है।

आपातकाल का ऐलान
आलम यह है कि श्रीलंका में अब हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। महंगाई की मार झेल रहे हजारों लोग सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। लोग राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की नीतियों को जिम्मेदार मान रहे हैं। राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर लोग हिंसक हो गए हैं। लोगों के भारी तादाद में सड़कों पर उतरने और हिंसक प्रदर्शन के मद्देनजर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने श्रीलंका में आपातकाल का ऐलान कर दिया है।

सवाल यह है कि श्रीलंका की यह हालत हुई कैसे। आइए जानने की कोशिश करते हैं श्रीलंका की बर्बादी के 5 कारण।

चीन से 5 अरब डॉलर कर्ज
श्रीलंका की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण चीन का कर्जा रहा है। चीन के कर्ज को चुकाते-चुकाते श्रीलंका बदहाल हो गया। चीन का श्रीलंका पर करीब 5 अरब डॉलर से अधिक कर्जा है। पिछले साल उसने देश में वित्तीय संकट से उबरने के लिए चीन से और 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। अगले 12 महीनों में देश को घरेलू और विदेशी लोन के भुगतान के लिए करीब 7.3 अरब डॉलर की जरूरत है। 2022 में श्रीलंका को 7 अरब डालर से अधिक विदेशी ऋण चुकाना है। श्रीलंका को बड़े कर्जे चुकाने के लिए छोटे-छोटे कर्ज लेने पड़ रहे हैं। इसके कारण अब श्रीलंका ने कई देशों को अपने परियोजनाओं को लीज पर देने का विचार किया है।

तबाह हुआ टूरिज्‍म
श्रीलंका में सबसे अहम पर्यटन व्यवस्था थी जो कोरोना महामारी के चलते पूरी तरह से बर्बाद हो गई, कोरोना में दुनिया से कनेक्‍शन खत्‍म होने से लाखों लोग बर्बाद हो गए, बेराजगारी चरम पर पहुंची और पर्यटन से जो रेवेन्‍यू आता था, वो पूरी तरह से बंद हो गया।

बता दें कि टूरिज्म इंडस्ट्री का देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान है। 2019 में कोलंबो में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद से पर्यटन उद्योग को झटका लगा था और कोरोना महमारी ने इसे इतना बढ़ा दिया कि इसे उबारना भी मुश्किल हो गया। इसका असर श्रीलंका की विदेशी मुद्रा आय पर पड़ा। इसके अलावा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, श्रीलंका में एफडीआई में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।

महंगाई ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
देश के विदेशी मुद्रा संकट के बीच पेट्रोलियम की कीमतें आसमान छू गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका की सरकार के पार पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं बची है, जिससे ये संकट और भी गहरा गया है। कुछ दिनों पहले श्रीलंका से ऐसी तस्वीरे आईं कि लोग पेट्रोल खरीदने के लिए पेट्रोल पंप पर टूट पड़े हैं। आलम यह था कि लोगों को कंट्रोल के लिए सेना लगाना पड़ी। हजारों लोग घंटों तक कतार में इंतजार करके तेल खरीद रहे हैं। देश में डॉलर की कमी ने सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक श्रीलंका में फरवरी में महंगाई 17.5 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई जो कि पूरे एशिया में सबसे ज्यादा है।
webdunia

45 फीसदी तक टूटा श्रीलंकाई रुपया
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपया सिर्फ मार्च महीने में भी अब तक 45 फीसदी टूट चुका है। 1 मार्च से अब तक श्रीलंका की मुद्रा डॉलर की तुलना में टूटकर 292.5 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई। देश के प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे की मानें तो इस साल देश को 10 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा हो सकता है। वहीं दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके श्रीलंका के हालात पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियां बढ़ रही हैं और सरकारी ऋण काफी उच्च स्तर पर पहुंच गया है।

कोराना ने की तबाही की शुरुआत
कर्ज, महंगाई, रुपए का टूटना और टूरिज्‍म तो प्रमुख कारण है ही श्रीलंका की तबाही के, लेकिन इस बर्बादी की शुरुआत कोरोना महामारी के साथ ही हो गई थी। करीब दो साल तक श्रीलंका का सारा कामकाज ठप्‍प रहा। ऐसे में पर्यटन सबसे पहले तबाह हुआ, इस पर विदेशों से लिए कर्ज को चुकाने का दबाव। इन सब की वजह से महंगाई बढ़ गई और आज स्‍थिति यहां तक आ गई कि श्रीलंका कंगाल होने की हालत में आ गया है। अब यहां कालाबाजारी, भूखमरी, मारामारी चरम पर है।

श्रीलंका में महंगाई की आग  
चावल: 500 रुपए किलो
चीनी: 290 रुपए किलो
मिर्च: 710 रुपए किलो
आलू: 200 रुपए किलो
एक कप चाय: 100 रुपए
एक ब्रेड पैकेट: 150 रुपए
दूध पाउडर: 1,975 रुपए किलो
पेट्रोल: 254 रुपए लीटर
डीजल: 176 रुपए लीटर
एलपीजी सिलेंडर: 4,119 रुपए
webdunia

कोलंबो में कर्फ्यू, 13 घंटे ब्‍लैक आउट
आलम यह कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारी उनके आवास के बाहर एकत्र हुए, जिसके बाद 45 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और कोलंबो शहर के ज्यादातर इलाकों में कुछ देर के लिए कर्फ्यू लागू कर दिया गया। जनता को दिन में 13 घंटे तक बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारी राजपक्षे सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन में 5 पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हो गए और वाहनों को आग लगा दी गई। अब तक 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दिल्ली में अब रोबोट बुझाएगा आग, फायर सर्विस में हुआ शामिल; जानिए 7 करोड़ के इस 'फायरफाइटर' की खूबियां