उलानबातर। दिल्ली की तरह दमघोंटू स्मॉग से जूझ रहे मंगोलिया की राजधानी के निवासी प्रदूषण से अपने आप को बचाने के लिए 'लंग' चाय और 'ऑक्सीजन कॉकटेल्स' पी रहे हैं।
यूनीसेफ ने एक रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2016 में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर में उलानबातर ने नई दिल्ली और बीजिंग को भी पीछे छोड़ दिया। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य संकट की चेतावनी दी गई है जिससे हर बच्चे और गर्भवती पर खतरा है।
दुनिया की सबसे ठंडी राजधानी में झुग्गी बस्तियों वाले जिलों में लोग खाना पकाने और घर को गर्म रखने के लिए स्टोव का इस्तेमाल करते हैं जिससे प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। उलानबातर में तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे तक चला जाता है।
यहां पर 30 जनवरी को प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ ) द्वारा तय किए गए सुरक्षित स्तर से 133 गुना ज्यादा था।
यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सांस के संक्रमण के मामले करीब तीन गुना बढ़ गए और पांच साल तक की उम्र के बच्चों की मौत का दूसरा प्रमुख कारण निमोनिया है।
जानिए कैसे बनता है स्मॉग : स्मॉग प्रदूषित हवा का एक प्रकार ही है। ‘स्मॉग’ शब्द का प्रयोग 20वीं सदी की शुरुआत से हो रहा है। आमतौर पर जब ठंडी हवा किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर पहुंचती है तब स्मॉग बनता है। ठंडी हवा भारी होती है इसलिए वह रिहायशी इलाके की गर्म हवा के नीचे एक परत बना लेती है। तब ऐसा लगता है जैसे ठंडी हवा ने पूरे शहर को एक कंबल की तरह लपेट लिया है। गर्म हवा हमेशा ऊपर की ओर उठने की कोशिश करती है, लेकिन ऐसा नहीं कर पाती और एक ढक्कन की तरह व्यवहार करने लगती है। कुछ ही समय में हवा की इन दोनों परतों के बीच हरकतें रुक जाती हैं। इसी खास ‘उलट-पुलट’ के कारण स्मॉग बनता है।
क्या असरकारी है एंटी - स्मॉग उत्पाद : चिंतित अभिभावकों ने सरकार पर कदम उठाने के लिए दबाव डालने के वास्ते प्रदर्शन किए। कुछ कारोबारी इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं हालांकि डब्ल्यूएचओ के एक अधिकारी ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ऐसे एंटी - स्मॉग उत्पाद असरकारी हैं।
मंगोलिया में दिखाई दे रहे विज्ञापनों में लिखा है कि केवल एक ऑक्सीजन कॉकटेल का असर तीन घंटे तक घने जंगल में घूमने के बराबर है।