Russia-Ukrain Crisis: पुतिन को यूक्रेन मामले में नहीं मिला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का समर्थन

Webdunia
मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022 (17:44 IST)
संयुक्त राष्ट्र। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों को रूसी नियंत्रण में लाने के लिए उनके कदमों को लेकर सोमवार रात एक आपात बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कोई समर्थन नहीं मिला। अमेरिका ने पुतिन के कदमों को हमला करने का एक बहाना बताया, वहीं कई सदस्यों ने यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता के उल्लंघन की निंदा की। यहां तक ​​कि रूस के करीबी सहयोगी चीन ने भी कूटनीति और शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह किया।

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यूक्रेन ने दोनेत्स्क और लुहान्स्क के अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने सहित विभिन्न मुद्दों पर पुतिन के कदमों की निंदा करने के लिए सोमवार को अमेरिका, 5 यूरोपीय देशों और मेक्सिको के साथ विशेष सत्र का आह्वान किया। रूस इस महीने सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और वह चाहता था कि बैठक नहीं हो, लेकिन राजनयिकों ने कहा कि पश्चिमी देशों और अन्य सदस्यों के तीव्र दबाव में वे खुले सत्र के लिए सहमत हुए।
 
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने पुतिन की इस घोषणा को बकवास बताते हुए खारिज कर दिया कि रूसी सैनिक शांतिरक्षक सैनिकों के रूप में अलगाववादी क्षेत्र में होंगे। उन्होंने कहा कि रूसी सैनिकों की उपस्थिति यूक्रेन पर एक और आक्रमण के लिए स्पष्ट रूप से बहाना बनाने के रूसी प्रयास का आधार है।

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संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के राजदूत निकोलस डी रिवेरे ने कहा कि रूस चुनौती और टकराव का रास्ता चुन रहा है जबकि फ्रांस व जर्मनी सहित अन्य देशों ने पिछले दिनों में तनाव कम करने के लिए अथक प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि हम इन प्रयासों को जारी रखेंगे और रूस से अपनी कथनी और करनी एक रखने, अलगाववादी इकाइयों को मान्यता देने का फैसला वापस लेने की अपील करेंगे।
 
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटिश राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने सुरक्षा परिषद से रूस से किसी भी सैन्य कार्रवाई को रोकने, एक संप्रभु राज्य के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई की निंदा करने और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने एवं रूस से संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अपने दायित्वों का सम्मान करने का आह्वान करने का आग्रह किया। परिषद की कार्रवाई पर रूस के वीटो अधिकार को देखते हुए यह लगभग असंभव है।

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रूस ने यूक्रेनी विद्रोहियों के साथ संबंध मजबूत करने के लिए कदम बढ़ाया : रूस ने यूक्रेन में विद्रोहियों के क्षेत्रों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मंगलवार को तेजी से कदम बढ़ाया। दरअसल, मॉस्को ने एक विधेयक के जरिए उनकी स्वतंत्रता को मान्यता देकर वहां सैनिकों की तैनाती का मार्ग प्रशस्त कर दिया है जिससे पश्चिमी देशों के लिए एक चुनौती पैदा हो गई है। पश्चिमी देश, रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा करने की तैयारी कर रहे हैं।

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नए रूसी विधेयकों पर क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति कार्यालय) नियंत्रित संसद द्वारा शीघ्रता से मुहर लगाए जाने की संभावना है। ये विधेयक रूसी सैनिकों को यू्क्रेन के कहीं अधिक अंदर तक घुसने का मंच तैयार कर सकते हैं, जैसा कि अमेरिका और इसके सहयोगी देशों को अंदेशा है। बख्तरबंद वाहनों के काफिले को अलगाववादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों से गुजरते देखा गया है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वे रूसी ही थे।
 
विद्रोहियों के क्षेत्रों को मान्यता देने के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का सोमवार का फैसला अलगाववादियों के करीब 8 साल के संघर्ष के बाद आया है जिसमें 14,000 से अधिक लोग मारे गए और यूक्रेन का पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र दोनबास तबाह हो गया। यू्क्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की ने संयम दिखाते हुए कहा कि हम किसी से या किसी चीज से नहीं डर रहे हैं। हमने किसी का कुछ नहीं लिया है और हम किसी को कुछ नहीं देंगे। इस बीच अमेरिका ने त्वरित प्रतिक्रिया करते हुए अलगाववादियों के क्षेत्र में अमेरिकी निवेश एवं व्यापार पर रोक लगा दी है। ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देशों ने भी संकेत दिया है कि वे भी प्रतिबंधों की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं।

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